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दिल्ली विधानसभा ने किसानों को आतंकी कहने पर कंगना को किया तलब, 6 दिसंबर को पेशी का समन भेजा

कंगना रनौत सक्रिय रूप से सीएए और कृषि विरोधी कानूनों के विरोध के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट करती रही हैं। इस साल मई के महीने में अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के लिए ट्विटर द्वारा उन्हें बैन भी किया गया था।

फोटोः Kangana/Twitter
फोटोः Kangana/Twitter 

दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव संबंधी समिति ने गुरुवार को बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को उनके हालिया सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर 6 दिसंबर को दोपहर 12 बजे को पेश होने के लिए तलब किया है, जिसमें उन्होंने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को खालिस्तानी आतंकवादी करार दिया था।

समिति की ओर से जारी समन में कहा गया है कि समिति को अन्य बातों के साथ आपत्तिजनक और अपमानजनक इंस्टाग्राम कहानियों/ पोस्टों को कथित रूप से आपके (कंगना रनौत) द्वारा आपके आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर सिख समुदाय के खिलाफ खालिस्तानी आतंकवादी बताने को लेकर कई शिकायतें मिली हैं। उक्त कहानियों/पोस्टों में कथित रूप से जानबूझकर किए गए संदर्भ और आरोप, जिसने सिख समुदाय को आहत पहुंचाया है।

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साथ ही आगे रनौत की एक पोस्ट का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने बिना किसी का नाम लिए, भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और 1984 में किए गए ऑपरेशन ब्लूस्टार का उल्लेख किया था। जिसमें लिखा था, "खालिस्तानी आतंकवादी आज भले ही सरकार का हाथ मरोड़ रहे हों, लेकिन उस महिला (इंदिरा गांधी) को नहीं भूलना चाहिए, जिसने अपनी जूती के नीचे इन्हें कुचल दिया था।"

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समिति ने कहा है, "उपरोक्त पोस्ट ने कथित तौर पर सिख समुदाय के लोगों की धार्मिक भावनाओं को अत्यधिक पीड़ा, संकट और गंभीर रूप से आहत किया है। इस प्रकार संभावित रूप से पूरे समुदाय का अपमान करने और कथित रूप से उकसाने से दिल्ली के एनसीटी में शांति और सद्भावना पर संकट पैदा हो सकता है, जो उपरोक्त समुदाय के लोगों के जीवन और स्वतंत्रता के लिए खतरा है।"

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कंगना रनौत सक्रिय रूप से सीएए और कृषि विरोधी कानूनों के विरोध के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट करती रही हैं। इस साल मई के महीने में अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के लिए ट्विटर द्वारा उन्हें बैन भी किया गया था।

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता राघव चड्ढा की अध्यक्षता में, स्थिति को शांत करने और धार्मिक समुदायों, भाषाई समुदायों या सामाजिक समूहों के बीच सद्भाव बहाल करने के लिए उपयुक्त उपायों की सिफारिश करने के लिए विधानसभा की शांति और सद्भाव संबंधी समिति का गठन किया गया है।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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