दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना संकट के चलते जारी लॉकडाउन में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है। जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से दायर याचिका पर नोटिस जारी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा, "याचिका में नामित अब तक गिरफ्तार सभी लोग कानून के अनुसार उचित अपील करने के लिए स्वतंत्र हैं। इसमें सक्षम क्षेत्राधिकार के न्यायालयों के समक्ष नियमित जमानत मांगना भी शामिल है।"
जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा हाईकोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि अदालत पुलिस अधिकारियों को निर्देश दे कि वे कोरोनावायरस की रोकथाम के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के बीच दिल्ली में इस साल (2020) सीएए विरोधी-प्रदर्शन के दौरान हुए दंगों की जांच के बहाने मामले से जुड़े लोगों को गिरफ्तार न करे और उन्हें जेल न भेजे।
गौरतलब है कि फरवरी के आखिरी हफ्ते में दिल्ली में हुए दंगों के दौरान नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हिंसा भड़ाकने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने पूर्व जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद, जामिया छात्रा सफूरा जरगर, जामिया स्कॉलर मीरान हैदर, दानिश और जामिया एल्यूमनी एसोसिएशन के अध्यक्ष शिफा उर्र रहमान समेत अब तक करीब दस लोगों को गिरफ्तार किया है। खास बात ये है कि ये सभी लोग नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन में शामिल थे।
खास बात ये है कि दिल्ली दंगों में आरोपी बनाए गए इन सभी लोगों को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने लॉकडाउन के दौरान बारी-बारी से पूछताछ के लिए बुलाया और सभी को यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उमर खालिद पर दर्ज एफआईआर के अनुसार उसने और उसके सहयोगियों ने औरतों-बच्चों को सड़कों पर उतारकर हिंसा भड़काने की साजिश रची थी, जिसके बाद दिल्ली के मौजपुर, कर्दमपुरी, जफराबाद, चांदबाग और शिव विहार इलाकों में दंगे हुए थे।
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