दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को रेलवे से कहा कि वह प्लेटफार्म टिकटों की बिक्री और यात्रियों की अधिकतम संख्या तय करने के प्रावधानों के क्रियान्वयन संबंधी उन मुद्दों की समीक्षा करे जो नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हाल में मची भगदड़ को लेकर एक जनहित याचिका में उठाए गए हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने संबंधित प्राधिकारियों से कहा कि वे अपने हलफनामे में इन मुद्दों के संबंध में उठाए जाने वाले अपने कदमों का ब्यौरा प्रस्तुत करें।
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कोर्ट ने कहा, ‘‘जैसा कि सॉलिसिटर जनरल ने सुझाव दिया है, याचिका में उठाए गए मुद्दों की समीक्षा रेलवे बोर्ड में उच्चतम स्तर पर की जाए और उसके बाद प्रतिवादी द्वारा एक हलफनामा दायर किया जाए जिसमें रेलवे बोर्ड द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों का विवरण दिया जाए।’’
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले को विरोधात्मक तरीके से नहीं लिया गया है और रेलवे कानून का पालन करने के लिए बाध्य है।
उन्होंने कहा कि यह एक ‘‘अप्रत्याशित’’ स्थिति है। उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों पर उच्चतम स्तर पर विचार किया जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका हाल में हुई भगदड़ की घटना तक सीमित नहीं है और इसमें प्लेटफॉर्म टिकटों की बिक्री एवं एक डिब्बे में यात्रियों की अधिकतम संख्या के संबंध में मौजूदा कानूनी प्रावधानों को लागू करने का अनुरोध किया गया है।
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उसने कहा कि अगर कानूनी प्रावधानों को पर्याप्त रूप से लागू किया जाता है तो भगदड़ की ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता था। इस मामले में आगे की सुनवाई 26 मार्च को होगी।
भगदड़ की घटना के दो दिन बाद 17 फरवरी को उच्चतम न्यायालय में भी एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस घटना में 18 लोग मारे गए थे और 15 लोग घायल हो गए थे। इस जनहित याचिका में भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया गया है।
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