
महाराष्ट्र में एक बार फिर मराठा आरक्षण का मुद्दा उठने वाला है। हाल ही में मुद्दे पर अनशन करने वाले मनोज जरांगे-पाटिल ने ऐलान किया है कि वह समुदाय के लिए आरक्षण के मुद्दे पर समर्थन जुटाने के लिए बुधवार को राज्य के कई जिलों के 12 दिवसीय दौरे पर निकलेंगे। मनोज जरांगे-पाटिल ने कहा, ''मैं मराठों के लिए नौकरियों और शिक्षा में कोटा के मुद्दे पर चर्चा करने, उन्हें अपना रुख समझाने और उनकी प्रतिक्रिया लेने के लिए एक जन-संपर्क अभियान शुरू करूंगा।''
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हाल ही में राज्य की राजनीति में भूचाल लाने के बाद मराठा नेता मनोज जरांगे-पाटिल की यह पहली बड़ी कार्रवाई है। इसी महीने 14 सितंबर को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आश्वासन पर जालना में आंदोलन स्थल अंतरावली-सारती गांव का दौरा करने वाले अन्य लोगों के हाथों उन्होंने अपनी 17 दिनों की लंबी भूख हड़ताल समाप्त की थी।
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उस समय राज्य सरकार ने कहा था कि उसने जरांगे-पाटिल की अधिकांश मांगों को स्वीकार कर लिया है, लेकिन उन्होंने मराठा कोटा लागू करने के लिए और समय देने का अनुरोध किया था, जो किसी भी कानूनी चुनौती का सामना कर सकता था। राज्य ने पूरे मामले पर गौर करने के लिए एक पैनल भी नियुक्त किया, जिसमें मराठों को ओबीसी कोटा में शामिल करने पर विचार किया गया, जैसा कि जरांगे-पाटिल ने मांग की थी।
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जरांगे-पाटिल ने यह भी चेतावनी दी थी कि यदि मराठा आरक्षण की मांगें राज्य सरकार द्वारा पूरी नहीं की गईं, तो वे पूरे राज्य में रिले-भूख हड़ताल और अन्य प्रकार के आंदोलन शुरू करेंगे। आगामी लोकसभा, राज्य में निकाय और विधानसभा चुनावों में इस मुद्दे के संभावित असर से चिंतित मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने बार-बार आश्वासन दिया है कि सरकार किसी अन्य समुदाय के साथ अन्याय किए बिना मराठों को कोटा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
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