हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज विधानसभा क्षेत्र के थुनाग गांव में एक छोटे नाले में अचानक उफान आने से कई घर पूरी तरह से तबाह हो गए। घरों में इतना पानी और मलबा घुस चुका है कि वहां रहने लायक परिस्थितियां नहीं हैं। प्रभावित परिवार राहत शिविरों और रिश्तेदारों के घरों में शरण लेने को मजबूर हैं। इनके पास कुछ कपड़ों के अलावा अब कुछ भी नहीं बचा है।
थुनाग बाजार के साथ लगते इस गांव में 30 जून की रात करीब 11:30 बजे से लेकर 12:00 बजे के बीच ऐसी तबाही शुरू हुई, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। लोगों के अनुसार, यह नाला उस रात भारी बारिश के चलते उफान पर आ गया और कई पक्के मकान मलबे में तब्दील हो गए।
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आपदा का आलम यह रहा कि मलबा कई घरों की दूसरी मंजिल तक पहुंच गया। टूटी दीवारों के बीच फंसे विशाल पेड़ और भारी पत्थर यह साफ दर्शाते हैं कि बाढ़ ने किस तरह तबाही मचाई। कई परिवारों की जिंदगी भर की पूंजी कुछ ही मिनटों में मलबे में दफन हो गई।
आपदा प्रभावित स्थानीय निवासी नंदा देवी और कांता देवी ने बताया कि उनका पूरा परिवार दशकों से इस गांव में रह रहा था। उस रात जब सब लोग सो रहे थे, तभी अचानक नाले से तेज गर्जना की आवाजें आने लगीं और कुछ ही मिनटों में पानी और मलबा घर के भीतर घुस गया। हमें कुछ समझने तक का मौका नहीं मिला, बस जान बचाकर भागे। आज हमारे पास तन ढकने के कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं बचा।
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वहीं, जमना देवी, जो पिछले 27 वर्षों से इसी गांव में रह रही हैं, ने बताया कि उनके पति किडनी रोग के मरीज हैं। बाढ़ के कारण रास्ते बंद हो गए थे, अब जाकर सड़क खुली है और आज उन्हें इलाज के लिए जालंधर ले जाया गया है। हमारे लिए यह दोहरी मार है। हमारा घर उजड़ गया और बीमारी से जूझ रहे पति के इलाज की चिंता अलग।
इस आपदा में कुल 5 परिवारों के करीब 25 से 30 लोग पूरी तरह से बेघर हो गए हैं। सभी प्रभावितों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें किसी सुरक्षित और स्थायी स्थान पर पुनर्वासित किया जाए। उनका कहना है कि जो कुछ भी था, वह सब कुछ इस आपदा में समाप्त हो गया है और अब भविष्य को लेकर सिर्फ अनिश्चितता बची है।
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