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वित्त मंत्रालय में जबरन रिटायरमेंट की कार्रवाई से अफसरों में असंतोष, मध्य स्तर के अफसरों ने बनाया अलग गुट

सरकार ने इस साल जून में आयकर विभाग के 12 अफसरों और सिंतबर में इसी विभाग के 15 अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया। इस कार्यवाही से मध्य स्तर के अफसरों में असंतोष घर करने लगा है, उनका मानना है कि यह टारगेट करके की गई कार्यवाही है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

देश का वित्त मंत्रालय इन दिनों अफसरों की आपसी तनातनी का शिकार है। हालात ऐसे हो गए हैं कि मंत्रालय के तहत आने वाले इनकम टैक्स विभाग के मिड-लेवल अफसरों अपना अलग गुट बना लिया है और आला अधिकारियों के खिलाफ लॉबिंग शुरु कर दी है। सूत्रों के मुताबिक इन अफसरों के असंतोष का मुख्य कारण है कि उनके स्तर के अधिकारियों को तो आचरण और छोटे-मोटे रिश्वत के मामलों में सजा दी जा रही है, लेकिन बड़े अफसरों को छुआ तक नहीं जा रहा।

सूत्रों का कहना है कि उच्च पदों पर तैनात कुछ ऐसे अधिकारियों को को प्रोमोशन दे दिया गया जो पूर्व में भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं। इन सबके खिलाफ सबूत भी थे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। सूत्रों का कहना है कि, “अगर सरकार पारदर्शिता अपनाती तो इन अफसरों से पूछताछ होनी चाहिए थी।”

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बताया जाता है कि सरकार ने 30 से ज्यादा अफसरों की सूची बनाई है, जिनमें मुख्यत: मिड लेवल अफसर हैं। इन सब पर कामकाज में लापरवाही और रिश्वत लेने के आरोपों के बाद कार्रवाई की जानी है। एक सूत्र ने बताया कि, “दरम्याने तबके के अफसरों को सजा दी जा रही है, जबको आला अफसरों को शह मिल रही है।”

गौरतलब है कि सरकार ने इस साल जून में आयकर विभाग के 12 अफसरों और सिंतबर में इसी विभाग के 15 अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया। इस कार्यवाही से मध्य स्तर के अफसरों में असंतोष घर करने लगा है, उनका मानना है कि यह टारगेट करके की गई कार्यवाही है।

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सूत्रों के मुताबिक इस तरह के क्रैकडाऊन की सूची में कम से 50 अफसर हैं, जिनमें 12 अफसर सीबीडीटी के भी हैं। इन सभी अफसरों को जबरन रिटायरमेंट दे दिया गया है। लेकिन कुछ लोग हैं जिनका मानना है कि अफसरों को हटाने से कुछ नहीं होने वाला, असली मुद्दा भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाना है।

अभी तक की कार्यवाही में न सिर्फ मध्य स्तर के अफसर बल्कि कमिश्नर स्तर के अधिकारियों को भी हटाया जा चुका है।

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