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चुनाव आयोग ने 334 गैर-मान्यता प्राप्त दलों को पंजीकरण सूची से हटाया, 6 साल में एक भी चुनाव नहीं लड़ने पर कार्रवाई

आयोग ने कहा कि ये 334 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (आरयूपीपी) देश भर के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हैं। इस कवायद के बाद सिर्फ 6 राष्ट्रीय दल और 67 क्षेत्रीय पार्टियां और 2,520 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल बचे हैं।

चुनाव आयोग ने 334 गैर-मान्यता प्राप्त दलों को पंजीकरण सूची से हटाया, 6 साल में एक भी चुनाव नहीं लड़ने पर कार्रवाई
चुनाव आयोग ने 334 गैर-मान्यता प्राप्त दलों को पंजीकरण सूची से हटाया, 6 साल में एक भी चुनाव नहीं लड़ने पर कार्रवाई फोटोः सोशल मीडिया

भारत निर्वाचन आयोग ने शनिवार को 334 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को पंजीकृत सूची से बाहर कर दिया, जो 2019 से छह साल तक एक भी चुनाव लड़ने की आवश्यक शर्त को पूरा करने में विफल रहे हैं। इन दलों के कार्यालय भी कहीं नहीं मिले। चुनाव आयोग के फैसले के बाद वर्तमान में सिर्फ 6 राष्ट्रीय दल और 67 क्षेत्रीय पार्टियां और 2,520 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल बचे हैं।

निर्वाचन आयोग ने कहा कि ये 334 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (आरयूपीपी) देश भर के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हैं। इस कवायद के बाद कुल 2,854 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में से अब 2,520 ही बचे हैं। वर्तमान में, छह राष्ट्रीय दल और 67 राज्य स्तरीय दल हैं। 6 राष्ट्रीय पार्टियों में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी, बीएसपी, सीपीएमआई और एनपीपी शामिल हैं। समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल जैसे 67 प्रमुख दल चुनाव आयोग की सूची में क्षेत्रीय दलों के तौर पर पंजीकृत हैं।

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आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सूची से बाहर किए गए राजनीतिक दल आयकर अधिनियम-1961 और चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश-1968 के प्रासंगिक प्रावधानों के साथ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम- 1951 की धारा 29बी और धारा 29सी के प्रावधानों के तहत कोई भी लाभ प्राप्त करने के पात्र नहीं होंगे। हालांकि, चुनाव आयोग ने सूची से बाहर किए गए राजनीतिक दलों को अपील के लिए 30 दिन का समय दिया है।

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प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, जून 2025 में ईसीआई ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को 345 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था। इस प्रक्रिया के अंतर्गत अधिकारियों ने इन दलों की जांच की, उन्हें शोकॉज नोटिस जारी किए और व्यक्तिगत सुनवाई के माध्यम से अपनी बात रखने का अवसर दिया। अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर, 345 में से 334 दलों ने शर्तों का पालन नहीं किया। आयोग ने सभी तथ्यों और अधिकारियों की सिफारिशों पर विचार करने के बाद इन 334 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटा दिया है।

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चुनाव आयोग ने बताया कि अब कुल 2,854 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में से 2,520 दल शेष रह गए हैं। निर्वाचन आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों का पंजीकरण भारत निर्वाचन आयोग के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम- 1951 की धारा 29ए के अंतर्गत किया जाता है। राजनीतिक दलों के पंजीकरण को लेकर यह नियम है कि यदि कोई पार्टी लगातार 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ती, तो उसका नाम रजिस्ट्रेशन सूची से हटा दिया जाता है। इसके अतिरिक्त, धारा 29ए के तहत रजिस्ट्रेशन के समय राजनीतिक दलों को अपना नाम, पता, पदाधिकारियों की सूची आदि जैसी जानकारी देनी होती है और इसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन होने पर तत्काल आयोग को सूचित करना होता है।"

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अधिकारियों ने बताया कि 2001 से अब तक, निर्वाचन आयोग निष्क्रिय आरयूपीपी को तीन से चार बार हटा चुका है। शीर्ष अदालत ने पहले यह कहते हुए निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने से रोक दिया था कि यह कानून के तहत निर्धारित नहीं है। हालांकि, निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को सूची से हटाने का एक तरीका खोज लिया है। आयोग के एक पूर्व पदाधिकारी ने बताया कि सूची से हटाए गए दलों को निर्वाचन आयोग बिना किसी नई मान्यता प्रक्रिया में उलझाए फिर से सूचीबद्ध कर सकता है। अतीत में कुछ आरयूपीपी को आयकर कानूनों और धनशोधन विरोधी कानून का उल्लंघन करते हुए पाया गया था।

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