बिहार विधानसभा चुनाव के बाद निर्वाचन आयोग इस वर्ष के अंत तक उन पांच राज्यों में मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा करेगा जहां 2026 में चुनाव होने हैं। अंततः, निर्वाचन आयोग देश भर में विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू करेगा, ताकि मतदाता सूचियों की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन किया जा सके।
गहन समीक्षा के तहत, चुनाव अधिकारी त्रुटिरहित मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की विधानसभाओं का कार्यकाल अगले वर्ष मई-जून में समाप्त हो रहा है और इन राज्यों में मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा वर्ष के अंत तक शुरू हो जाएगी।
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हालांकि, चूंकि बिहार में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए निर्वाचन आयोग ने वहां तत्काल विशेष गहन पुनरीक्षण करने का निर्णय लिया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि चुनाव आयोग ने बीजेपी की मदद के लिए मतदाता आंकड़ों में हेराफेरी की है। इसके बाद आयोग ने गहन पुनरीक्षण में अतिरिक्त कदम उठाए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अवैध प्रवासियों का नाम मतदाता सूची में दर्ज न हो।
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मतदाता बनने या राज्य के बाहर से आने वाले आवेदकों की एक श्रेणी के लिए एक अतिरिक्त 'घोषणा फॉर्म' पेश किया गया है। उन्हें यह शपथ-पत्र देना होगा कि उनका जन्म एक जुलाई, 1987 से पहले भारत में हुआ था और जन्म तिथि और/या जन्म स्थान को प्रमाणित करने वाला कोई भी दस्तावेज़ प्रस्तुत करना होगा। घोषणा पत्र में सूचीबद्ध विकल्पों में से एक यह है कि उनका जन्म भारत में एक जुलाई 1987 और दो दिसंबर 2004 के बीच हुआ है। उन्हें अपने माता-पिता की जन्मतिथि/स्थान के बारे में भी दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
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बिहार के लिए अंतिम गहन पुनरीक्षण 2003 में किया गया था। आयोग ने कहा कि तेजी से हो रहे शहरीकरण, लगातार हो रहे पलायन, युवा नागरिकों के मतदान के लिए पात्र होने, मौतों की सूचना न देने और विदेशी अवैध प्रवासियों के नाम सूची में शामिल होने जैसे कई कारणों से मतदाता सूचियों की शुचिता और त्रुटिरहित तैयारी सुनिश्चित करने के लिए पुनरीक्षण की आवश्यकता पड़ी है।
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गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान सत्यापन के लिए बूथ स्तरीय अधिकारी घर-घर सर्वेक्षण करेंगे।आयोग ने कहा कि विशेष पुनरीक्षण करते समय आयोग मतदाता के रूप में पंजीकृत होने की पात्रता और मतदाता सूची में पंजीकरण के लिए अयोग्यताओं के संबंध में संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का ईमानदारी से पालन करेगा, जो संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (1950) की धारा 16 में स्पष्ट रूप से निर्धारित हैं।
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