
लोकसभा के शीतकालीन सत्र में चुनाव सुधार पर चर्चा में भाग लेते हुए समाजवादी पार्टी (एसपी) की सांसद डिंपल यादव ने चुनाव आयोग और मोदी सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और जनता का भरोसा लगातार कमजोर हो रहा है। उन्होंने एसआईआर को लेकर भी सवाल उठाए।
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उत्तर प्रदेश उपचुनाव की निष्पक्षता को लेकर उन्होंने दावा किया कि मतदान के दौरान कई बूथों पर सादे कपड़ों में मौजूद पुलिसकर्मियों को खुद वोट डालते हुए पकड़ा गया। डिंपल यादव के अनुसार, समाजवादी पार्टी ने इन घटनाओं की शिकायत कई बार चुनाव आयोग से की, लेकिन इसके बावजूद संबंधित बूथों की सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं कराई गई। उन्होंने कहा कि यह फुटेज स्पष्ट सबूत हो सकती थी कि मतदान केंद्र पर क्या हुआ, लेकिन प्रशासन जानबूझकर इसे सार्वजनिक नहीं कर रहा। उन्होंने पूछा कि जब चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रखी जाएगी, तो जनता लोकतांत्रिक संस्थाओं पर भरोसा कैसे करेगी?
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डिंपल यादव ने एसआईआर प्रक्रिया को लेकर भी केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि इसे नागरिकता कानून से जोड़कर लोगों में भय पैदा किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि बिहार में एसआईआर लागू करने के दौरान करीब 80 लाख मतदाताओं के नाम वोटर सूची से हटा दिए गए, जिससे चुनावी संतुलन बदल गया। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार संवैधानिक संस्थाओं का राजनीतिक उपयोग कर रही है और विपक्षी दलों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।
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डिंपल यादव ने चुनाव आयोग से मांग की कि मतदान में हुई गड़बड़ियों की स्वतंत्र जांच कराई जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो, चाहे वे अधिकारी हों या किसी राजनीतिक दल से जुड़े हों। इसके साथ ही उन्होंने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की। डिंपल यादव ने जनता से भी अपील की कि वे अपने मताधिकार और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूक रहें। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता ही लोकतंत्र की नींव है और इसे सुरक्षित रखना सरकार तथा चुनाव आयोग दोनों की जिम्मेदारी है।
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