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Exclusive: राकेश टिकैत बोले- किसानों की स्वतंत्रता छीन लेगा कृषि बिल, MSP को कानून बनाए सरकार

यह बिल किसानों से उनकी स्वतंत्रता छीनने का जैसा हैं। किसानों के सामने उनके अस्तित्व का संकट आ गया है। यह कहना है उत्तर प्रदेश में किसानों के सबसे बड़े संगठन भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का। उन्होंने नवजीवन से किसानों को लेकर कई बातचीत की।

फोटो: आस मोहम्मद
फोटो: आस मोहम्मद  

कृषि अध्यादेश बिल के बाद किसानों की नाराजगी चरम पर हैं। उत्तर प्रदेश में किसानों के सबसे बड़े संगठन भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ‘नवजीवन’ के साथ बातचीत में दावा किया है कि आने वाला समय किसानों के लिए तो दूभर और कष्टदायक होगा ही मगर सरकार के लिए भी बहुत मुश्किल होने जा रहा है। यह बिल किसानों से उनकी स्वतंत्रता छीनने का जैसा हैं। किसानों के सामने उनके अस्तित्व का संकट आ गया है। उसके लिए जीवन-मरण का प्रश्न खड़ा हो गया है। यह बिल किसान हित में नही है। उनसे बातचीत के प्रमुख अंश यहां पेश किए जा रहे हैं।

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इस किसान बिल का क्यों विरोध कर रहे हैं?

राकेश टिकैत - पहली चीज तो यह है कि मंडी से बाहर माल बिकेगा और वो टैक्स फ्री रहेगा तो कौन लेकर आएगा मंडी में, तो मंडी तो सब ये बंद हो जाएंगी। जैसे अभी भी यहां मुजफ्फरनगर में जो व्यापारी है उन्होंने अपनी 'प्राइवेट मंडी 'खोल ली, अपनी जगह ले ली बाहर। वो मंडी में अपने ऑफिस रखेंगे और बाहर खरीद करेंगे माल की, तो एक साल में मंडिया बंद हो जाएंगी सारी। मंडी में यह था कि वहां एमएसपी पर बिक्री हो जाती थी। धान की, गेंहू की, हरियाणा, पंजाब में भी, वहां सरकारी अधिकारी बैठता था। उससे कह-सुन भी लेते। वहां छत भी होती थी। किसान रात में माल लेकर गया तो आराम भी कर सकता था। उसका माल को छावा भी था। अब किसान माल बचेगा सड़क पर,

बाहर के बाहर माल बेचेगा। सरकार का कोई नियंत्रण अब नही रहेगा। आज से 30 साल पहले यही व्यवस्था गांवों में थी। अब और अच्छवाई तरो( अच्छे तरीके से) आप ऐसे समझिए कि शुगर मिल में गन्ने का भाव तय है। मान लीजिये 350 ₹ प्रति कुंतल रेट है, अब सरकार का मामला है तो मिल को इसी भाव लेना पड़ता है। मिल के बराबर में ही निजी क्रेशर हैं वो 150 ₹ का भाव देता है। अब व्यापारी की मर्ज़ी वो क्या भाव ले, ना ले। अब एमएसपी और मंडी दोनों खत्म होगी।

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क्या इससे कालाबाजारी बढ़ जाएगी। व्यापारी खुद ख़रीदगा तो मनमर्जी स्टॉक नही कर लेगा?

राकेश टिकैत- कालाबाजारी पहले भी होती थी। तब अधिकारी, पुलिस विभाग सब नजर रखते थे कि कौन आदमी कितनी कालाबाजारी कर रहा है। अब तो सरकार ने ही स्टॉक करने का परमिट दे दिया। अब इससे कालाबाजारी बढ़ेंगी या घटेगी। इसलिए विरोध है हमारा। अब एक किसान से एक बार फसल खरीदकर स्टॉक भर लेंगे अगली बार वो किसान जब फसल बेचेंगे तो कह देंगे कि हमारे पास तो पहले से ही बहुत माल है। हम नया नही ले रहे। तब किसान चौराहे पर खड़ा हो जाएगा। यही होगा। ऐसी स्थिति आएगी।

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सरकार के लोगों का कहना है कि बाहर के व्यापारी आएंगे, दायरा बड़ा होगा?

राकेश टिकैत - बाहर का कोई नही आएगा। यहां गुजरात से कोई खरीदने नही आएगा। 'ए' और 'बी' सब यहीं है। नाम बदलकर सब यही खरीदते है। यह बिल किसानों की स्वतंत्रता छीन लेगा। हमारा कहना है कि एमएसपी को कानून बना दो। अब मक्का 600 ₹ कुंतल बिक रही है जबकि एमएसपी 1600₹ है, आने वाले वक्त में गन्ने के भाव पर भी खतरा हो सकता है !

इससे अलग किसानों में तरह तरह की चर्चा डर और अंदेशा भी है।

राकेश टिकैत - अंदेशा यह है कि अभी तीन बिल और आएंगे। आने वाले टाइम पर पेस्टीसाइड बिल, सीड बिल और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग बिल भी आएंगे। किसान विरोध करेंगे। अब क्या कर सकते हैं ! आने वाले टाइम पर क्या पता क्या होगा। अब ताकत पर बल पर सरकार जो चाहे कर ले।

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आपको क्या लगता है कि सरकार किसानों के हित में है?

राकेश टिकैत- नहीं है।

किसानों के दिल ठेस लगी है !

राकेश टिकैत- सरकार को क्या फर्क पड़ता है इससे । यह आर्थिक युग है। दिल पर ठेस क्या। यह तो किसानों की रोजी रोटी पर चोट लग गई है। इससे किसानों की रोजी रोटी पर संकट आएगा। उनके बच्चों के भविष्य पर संकट आएगा। उनका हिसाब किताब गड़बड़ा जाएगा। किसानों को नुकसान होना शुरू हो जाएगा। तो किसान रियेक्शन करेगा। जल्दी करेगा।

कैसा रिएक्शन और कब?

राकेश टिकैत: अब धान की फसल आने वाली है, एक महीने बाद। पंजाब और हरियाणा पूरा बर्बाद होने की कारण कगार पर है। फसल बिकने पर आएगी तो आंखे खुलेगी, अभी कुछ बंद है, सारी खुल जावेंगी, किसान क्रांति आने वाली है, बहुत जगह से आवाज़ उठ रही है। किसानों को आंदोलन को तेज करना पड़ेगा। यह बिल उनके हित मे नहीं है। किसान जाग जावेगा तो ये सरकार भागती पावेगी।

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