कर्नाटक में कोरोना वायरस के कहर में जहां लगातार लोगों की मौत हो रही है, बड़ी संख्या में लोग इलाज और दवाओं के लिए दरबदर भटक रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इस आपदा में भी कुछ लोगों ने दूसरों की मजबूरी का फायदा उठाकर पैसे कमाने का अवसर तलाश लिया है। यही कारण है कि राजधानी बेंगलुरू से कभी रेमडेसिविर की कालाबाजारी की खबरें आ रही हैं, तो कभी अस्पतालों के बेड की कालाबाजारी की खबरें आ रही हैं।
ऐसी ही एक घटना में बेंगलुरु पुलिस ने गुरुवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में काम करने वाले दो डॉक्टरों सहित चार लोगों को शहर में फर्जी कोविड सर्टिफिकेट जारी करने और एंटीवायरल ड्रग रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने का रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इनके पास जीवनरक्षक दवा रेमडेसिविर की कई शीशियां भी बरामद हुई हैं।
पुलिस के अनुसार, दो आरोपियों की पहचान बी शेखर (25) और प्रजवाला के रूप में हुई है, जो शहर के चामराजपेट में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा अधिकारी और डॉक्टर के रूप में काम करते थे। दो अन्य आरोपियों की पहचान किशोर जी (22) और मोहन वाई (29) वर्ष के रूप में हुई है, दोनों निजी अस्पतालों के कर्मचारी हैं।
सेंट्रल डिवीजन के पुलिस उपायुक्त एम.एन. अनुचेत ने कहा, "हलासुरु गेट पुलिस ने एक विशेष टीम का गठन किया और इन डॉक्टरों के लिए जाल बिछाया।" बेंगलुरु सेंट्रल डिवीजन पुलिस के बयान के अनुसार, ये डॉक्टर अलग-अलग अस्पतालों में काम करने वाले दो कर्मचारियों के साथ मिलकर काम करते थे, जो मरीजों को चामराजपेट पीएचसी रेफर करते थे, जहां ये डॉक्टर फर्जी आरटी- पीसीआर नेगेटिव सर्टिफिकेट जारी करने के लिए 500 रुपये लेते थे।
पुलिस ने बताया कि यही टीम 25,000 रुपये प्रति शीशी के हिसाब से रेमडेसिविर की कालाबाजारी में भी शामिल थी। पुलिस ने उनके कब्जे से 20 एमएल/100 मिलीग्राम की 11 शीशियां बरामद की हैं। पुलिस अब इन सभी से इस रैकेट के और कारनामों और गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में पूछताछ कर रही है।
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