केंद्र और किसानों के बीच एक दिन पहले हुई वार्ता के अनिर्णायक रहने के बाद बुधवार को सातवें दिन सिंघु बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन तेज हो गया है। हजारों की संख्या में डटे किसान रह-रह कर मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। खास बात ये है कि 26 नवंबर के बाद बुधवार को यह ऐसा पहला मौका था, जब किसानों ने इस तरह की नारेबाजी की।
Published: 02 Dec 2020, 5:16 PM IST
हजारों की संख्या में सिंघु बॉर्डर पर डटे किसान हरे, नीले, गुलाबी, पीले और सफेद रंग की पगड़ी पहने दिखाई दिए, जो उनके किसान संगठनों के झंडे के रंगों से मिलती हैं। इन किसानों में सबसे अधिक पंजाब से हैं, जबकि कुछ किसान हरियाणा से भी हैं। किसानों ने 'मोदी सरकार मुदार्बाद' और 'किसान मजदूर एकता जिंदाबाद' जैसे नारे लगाए।
Published: 02 Dec 2020, 5:16 PM IST
32 से अधिक कृषि यूनियनों से जुड़े हजारों किसान पिछले सात दिनों से सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं। सिंघु बॉर्डर हरियाणा के सोनीपत जिले से दिल्ली को जोड़ता है, जबकि टिकरी बॉर्डर हरियाणा के झज्जर जिले के बहादुरगढ़ को दिल्ली से जोड़ता है। इसके अलावा सैकड़ों किसानों ने दिल्ली-गाजियाबाद पर गाजीपुर बॉर्डर और दिल्ली-नोएडा पर चीला बॉर्डर को अवरुद्ध कर दिया है।
Published: 02 Dec 2020, 5:16 PM IST
मंगलवार को सरकार और किसानों के बीच तीन दौर की वार्ता हुई, जिसका कोई परिणाम नहीं निकल सका। इसके बाद बुधवार को जोरदार नारेबाजी देखी गई। किसान केंद्र की ओर से पारित किए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार इसके लिए तैयार नहीं है।
Published: 02 Dec 2020, 5:16 PM IST
किसान नेताओं ने मुद्दों को हल करने के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल की ओर से एक समिति बनाने की पेशकश को ठुकरा दिया है। उनका कहना है कि कानून बनाने से पहले समिति बनाई जानी चाहिए थी और उसमें किसी किसान प्रतिनिधि को शामिल किया जाना चाहिए था।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
Published: 02 Dec 2020, 5:16 PM IST
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Published: 02 Dec 2020, 5:16 PM IST