संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता डॉ. दर्शन पाल सिंह ने रविवार को मीडिया से बात करते हुए एसकेएम की बैठक और आगे की रणनीति के बारे में जानकारी दी। दर्शन पाल सिंह ने बताया कि अच्छे माहौल में आज एसकेएम की बैठक हुई और कई अहम फैसले लिए गए।
उन्होंने बताया कि एसकेएम की तरफ से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को किसानों की मांगों पर चर्चा करने के लिए खुला निमंत्रण दिया गया था,लेकिन मुख्यमंत्री बैठक में शामिल नहीं हुए। इस स्थिति पर एसकेएम के नेताओं ने निराशा जताई है और आगामी आंदोलनों की रूपरेखा भी प्रस्तुत की।
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दर्शन पाल ने आगे बताया कि अब 26 मार्च को पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के दौरान एक बड़ा किसान मार्च चंडीगढ़ के सेक्टर 34 के मेला ग्राउंड से शुरू होगा, जिसमें बड़ी संख्या में किसान एकजुट होकर विधानसभा तक मार्च करेंगे। उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन से इस मार्च के लिए अनुमति देने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि इस मार्च का उद्देश्य पंजाब सरकार पर दबाव बनाना है ताकि कर्ज माफी, एमएसपी और सब्सिडी जैसे अहम मुद्दों पर ठोस कदम उठाए जाएं, जो कि पंजाब के आगामी बजट में शामिल हो सकते हैं।
एसकेएम नेता ने बताया कि आंदोलन को और तेज करने के लिए एसकेएम की टीम हर गांव में जाएगी ताकि किसानों को इन मुद्दों पर जागरूक किया जा सके। इसके बाद, 4 मई को जालंधर में राज्यभर की विभिन्न यूनियनों के प्रतिनिधियों को बुलाकर इस पर चर्चा की जाएगी कि इन मुद्दों पर और क्या कदम उठाए जा सकते हैं और क्या हमारी मांगों में कोई कमी है। इसके अलावा, मई में तीन महापंचायतों का आयोजन किया जाएगा, जो पंजाब के विभिन्न इलाकों में होंगी। इन महापंचायतों का आयोजन मालवा क्षेत्र के बरनाला, माझा क्षेत्र के अमृतसर और जालंधर में किया जाएगा। इसके लिए एसकेएम ने 9 सदस्यीय एक कमेटी बनाई है, जो इन महापंचायतों की तारीख तय करेगी और उनका संचालन करेगी।
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एसकेएम की ओर से 23 मार्च को शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के शहीदी दिवस को भी बड़े स्तर पर मनाने की योजना है। इस दिन पंजाब के विभिन्न हिस्सों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि भगत सिंह के शहीदी दिवस की महत्ता को याद किया जा सके।
पंजाब सरकार को चेतावनी देते हुए दर्शन पाल ने कहा कि यदि 26 मार्च को होने वाले मार्च को रोकने का प्रयास किया गया, तो इसके परिणाम पंजाब सरकार के लिए अच्छे नहीं होंगे, क्योंकि 5 मार्च को जब सरकार ने किसानों को रोकने की कोशिश की थी, तो लोगों ने इसका जमकर विरोध किया था। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने किसानों के अधिकारों को दबाने की कोशिश की, तो इसका भारी विरोध होगा और सरकार को इसके नतीजे भुगतने होंगे।
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