कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के मसले पर भाजपा और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला आमने सामने आ गए हैं। भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि आरोप तो लगते रहते हैं, लेकिन इस पूरे मामले का सच सामने लाने के लिए एक आयोग बनाकर जांच करवानी चाहिए। उन पर भाजपा द्वारा लगाए गए आरोप का जवाब देते हुए उन्होंने दोहराया कि जांच आयोग बनाया जाए जहां वो अपना पक्ष रखने को तैयार हैं। हालांकि जिम्मेदारी को लेकर भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों पर मीडिया द्वारा लगातार सवाल पूछे जाने पर फारूक अब्दुल्ला भड़कते हुए भी नजर आए।
Published: 22 Mar 2022, 4:12 PM IST
अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि यदि उन्हें 1990 में हुए नरसंहार का दोषी पाया जाता है तो फिर देश में कहीं भी फांसी पर लटका दिया जाए, वह इसके लिए तैयार हैं। इंडिया टुडे टीवी चैनल से बातचीत में अब्दुल्ला ने कहा, 'सत्य बाहर आ जाएगा, यदि आप इसकी जांच के लिए किसी ईमानदार जज को नियुक्त करें और कमेटी बनाएं। आप जान जाएंगे कि इसके लिए कौन जिम्मेदार था।'
Published: 22 Mar 2022, 4:12 PM IST
दरअसल, भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने फारूक अब्दुल्ला द्वारा पेश किए गए जम्मू-कश्मीर प्रवासी अचल संपत्ति अधिनियम के दस्तावेज को शेयर करते हुए ट्वीट कर यह आरोप लगाया था कि उनके मुख्यमंत्री के कार्यकाल में ही कश्मीरी पंडितों का नरसंहार शुरू हो गया था । मालवीय ने ट्वीट कर लिखा , उमर ने दावा किया कि उनके पिता फारूक अब्दुल्ला नरसंहार के लिए जिम्मेदार नहीं थे। यह झूठ था। यह फारूक अब्दुल्ला द्वारा पेश किया गया जम्मू-कश्मीर प्रवासी अचल संपत्ति अधिनियम है, जिसमें पलायन के लिए कट ऑफ की तारीख 1 नवंबर 1989 है।
Published: 22 Mar 2022, 4:12 PM IST
मालवीय ने इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पर निशाना साधते हुए आगे लिखा कि, 18 जनवरी 1990 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने तक उन्होंने उन 79 दिनों तक क्या किया ?
आईएएनएस के इनपुट के साथ
Published: 22 Mar 2022, 4:12 PM IST
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Published: 22 Mar 2022, 4:12 PM IST