अब तक कांग्रेस से दूरी बनाकर चलने वाली बीआरएस, टीएमसी और आप जैसी विपक्षी पार्टियां राहुल गांधी की सदस्यता रद्द किए जाने के बाद खुलकर उनके समर्थन में खड़ी नजर आ रही हैं और मोदी सरकार पर हमलावर भी हैं। इसे विपक्षी एकता की पहली बाधा पार करने के तौर पर देखा जा रहा है, जो बीजेपी और मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
राहुल गांधी ने भी विपक्ष को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि यह सरकार से लड़ने के लिए एक हथियार साबित होगा। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी कहा कि आज यह नोट किया गया कि कई विपक्षी दलों ने राहुल गांधी को अयोग्य घोषित करने के लिए सरकार द्वारा की गई एकतरफा कार्रवाई की निंदा की है। हम सभी विपक्षी नेताओं के इस बयान का स्वागत करते हैं और एक आम सहमति है कि अब हमें व्यवस्थित तरीके से विपक्षी एकता बनाने का काम करना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हर दिन लोकसभा और राज्यसभा के नेताओं से मिलते रहे हैं, जब संसद का सत्र चल रहा होता है। इसलिए, हम संसद में समन्वय कर रहे हैं, अब समन्वय संसद के बाहर होना चाहिए और यह भी बहुत खुशी की बात है कि कुछ दल, जो संसद में इस सदन के समन्वय का हिस्सा नहीं थे, ने भी अब इस कार्रवाई की निंदा करते हुए सार्वजनिक बयान जारी किए हैं।
अप्रत्याशित हलकों से समर्थन कांग्रेस के लिए एक आश्चर्य के रूप में आया है, विशेष रूप से ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और के चंद्रशेखर राव की ओर से। आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि यह राहुल गांधी या कांग्रेस की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह देश को एक तानाशाह और कम पढ़े-लिखे व्यक्ति से बचाने की लड़ाई है। आज जो हो रहा है वह बहुत खतरनाक है, वे वन नेशन वन पार्टी का माहौल बनाना चाहते हैं।
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राहुल गांधी मामले पर बीआरएस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आज का दिन काला दिवस है। राहुल गांधी की संसद से अयोग्यता नरेंद्र मोदी के अहंकार और तानाशाही की पराकाष्ठा है। उन्होंने कहा कि यह बेहद निंदनीय है कि मोदी सरकार संवैधानिक संस्थानों और अपनी नापाक गतिविधियों के लिए संसद का भी दुरुपयोग कर रही है।
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी एक ट्वीट में कहा, यह निंदनीय है कि बीजेपी अब विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने और उन्हें अयोग्य ठहराने के लिए आपराधिक मानहानि के रास्ते का इस्तेमाल कर रही है, जैसा कि राहुल गांधी के साथ किया गया है। यह विपक्ष के खिलाफ ईडी/सीबीआई के घोर दुरुपयोग के ऊपर आता है। इस तरह के सत्तावादी हमलों का विरोध करें और उन्हें हराएं।
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हालांकि कई राजनीतिक पंडित मानते हैं कि विपक्षी एकता के लिए केवल इन बयानों से काम नहीं चलेगा, क्योंकि अतीत में कांग्रेस ने गोवा में बीजेपी की जीत के लिए टीएमसी और आप पर और गुजरात में बीजेपी की जीत के लिए आप पर मदद का आरोप लगाया था, जो बहुत हद तक सही भी लग रहा था। लेकिन अब ऐसी राजनीति से सभी को बचना होगा। कांग्रेस को मुख्य रूप से विपक्षी एकता की गति को बनाए रखना होगा और व्यवस्थित तरीके से राजनीतिक दलों के नेताओं तक पहुंचना होगा। अगर ऐसा होता है तो मोदी सरकार बड़ी मुसीबत में है।
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