बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक को गुरुवार सुबह उनके धनमंडी स्थित घर से गिरफ्तार कर लिया गया। ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा (डीबी) ने ये गिरफ्तारी की है।
बांग्लादेश के प्रमुख अखबार 'ढाका ट्रिब्यून' के मुताबिक डीबी के संयुक्त आयुक्त मोहम्मद नसीरुल इस्लाम के अनुसार एबीएम खैरुल हक के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। पूछताछ के लिए उन्हें मिंटो रोड स्थित डीबी मुख्यालय ले जाया गया। फिलहाल गिरफ्तारी के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है।
खैरुल हक ने 2010 में पदभार ग्रहण करते हुए देश के 19वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। अनिवार्य सेवानिवृत्ति आयु 67 वर्ष होने पर एबीएम खैरुल हक पिछले वर्ष सेवानिवृत्त हो गए।
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हक को साल 2013 में तीन साल के कार्यकाल के लिए लॉ कमीशन का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। इसके बाद उन्हें कई बार इस पद पर पुनः नियुक्त किया गया।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष अप्रैल के अंत में, बीएनपी समर्थक वकीलों के एक मंच, बांग्लादेश जातीयताबादी ऐनजीबी फोरम (बीजेएएफ) ने पूर्व एबीएम खैरुल हक की गिरफ्तारी और मुकदमे की मांग की थी। बीएसएस न्यूज एजेंसी के अनुसार, उन पर देश की न्यायपालिका और लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने में अहम भूमिका निभाने का आरोप है।
बीजेएएफ के अध्यक्ष एडवोकेट जैनुल आबेदीन ने एक लिखित बयान में दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने न्यायपालिका के सीधे समर्थन से एक फासीवादी शासन स्थापित किया था। अगर न्यायपालिका ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को पूरा किया होता, तो लोकतंत्र को नष्ट नहीं किया जा सकता था।
एडवोकेट जैनुल आबेदीन ने खैरुल हक को न्यायिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक शासन के पतन का मुख्य जिम्मेदार बताते हुए कहा, इतनी बड़ी तबाही के केंद्र में रहने के बावजूद, न तो उन्हें गिरफ्तार किया गया और न ही उन पर कोई कानूनी कार्रवाई हुई। इसके बावजूद, उन्हें जवाबदेह ठहराना बांग्लादेश की जनता की एक प्रमुख मांग बनी हुई है।"
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