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स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज़ थी ‘नेशनल हेराल्ड’ और ‘कौमी आवाज़’, आज की पत्रकारिता कहीं नहीं टिकती

उत्तर प्रदेश के देवबंद के सैयद शारिक हुसैन आजादी से पहले की ‘नेशनल हेराल्ड’ और ‘कौमी आवाज़’अखबार की कॉपी को दिखाते हुए कहते है कि आज के दौर में पत्रकारिता बर्बाद हो चुकी है।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ 

ऐतिहासिक समाचार पत्र ‘नेशनल हेराल्ड’ और ‘क़ौमी आवाज़’ आज भी लोगों के दिलों में बसता है। 73 साल से इसकी प्रति संभाल कर रखने वाले देवबंद का एक पाठक सैयद शारिक हुसैन इसकी गवाही देते है। आजादी से पहले की ‘नेशनल हेराल्ड’ और ‘कौमी आवाज़’ की प्रति संभाल कर रखने वाले शारिक हुसैन अपने ऊपर गर्व महसूस करते हैं। शारिक के पास 1946 में प्रकाशित ‘कौमी आवाज़’ और नेशनल हेराल्ड की प्रति आज भी संभाल कर रखी हुई है। उनका कहना है वो इस पर गर्व महसूस करते हैं और इसकी जानकारी साझा करते रहते हैं।

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सैयद शारिक हुसैन उत्तर प्रदेश के देवबंद के रहने वाले हैं और वो मशहूर इस्लामिक संत अब्दुल कादिर जिलानी के वंशज हैं। 40 साल के शारिक के मुताबिक, यह अखबार की कॉपिया उनकी मां ने संभाल कर रखा हुआ है। उनके मामा मोहम्मद काजिम आज़ादी से पहले ‘कौमी आवाज़’ के लिए खबरें लिखा करते थे। शारिक ने कहा, “उनकी अम्मी बताती है कि इस अखबार ने आज़ादी की लड़ाई को बेहद पुरजोर तरीके से लड़ा है।

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शारिक के मुताबिक आज के दौर की पत्रकारिता उस समय के मुकाबले में कहीं नही ठहरता है। मौलाना अबुल कलाम आजाद की लीड़रशीप में कौमी आवाज अखबार ने उसूलपसंदी की पत्रकारिता की। जिसके मैयार के नजदीक भी आज कोई अखबार नही फटक सकता। शारिक के मुताबिक, आज जब भी पत्रकारिता की बात होती है तो वो इन दोनों अखबारों को उठा लाते हैं और लोगों को पढ़कर सुनाते हैं ताकि वो समझे कि पत्रकारिता किसे कहते हैं।

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फोटो: आस मोहम्मद कैफ

आज़ादी की लड़ाई को बुलंद करने वाले इन अखबारों ने अंग्रेजों के दमनकारी नीतियों के खिलाफ खुलकर लिखे और भारतीयों की आवाज़ बने। शारिक ‘कौमी आवाज़’ अखबार में प्रकाशित मुख्य खबर को दिखाते हुए कहते हैं कि जब भी वो यह पढ़ते हैं तो उन्हें बहुत अच्छा लगता है इसमे महात्मा गांधी जी ने ऐलान किया था कि जल्द ही भारतीयों को आज़ादी मिलने वाली है।

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शारिक 17 अप्रैल 1946 के ‘क़ौमी आवाज़’ के एक अंक को दिखाते है इसकी शीर्षक खबर है, ‘कांग्रेस ने मुसलमानों के सभी अंदेशे दूर कर दिए।” शारिक के पास 14 अप्रैल 1946 का नेशनल हेराल्ड भी है। इसमें ईरान मुद्दे पर मॉस्को स्टेटमेंट की खबर को प्रमुखता दी गई है। साथ ही पंडित जवाहरलाल नेहरू के एक वक्तव्य को भी शीर्ष खबर बनाया गया है। जो उन्होंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग में कहा है।

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सबसे खास बात यह है कि इसमें एक फोटो है जिसमें सरदार वल्लभ भाई पटेल, आचार्य कृपलानी और बाबू राजेन्द्र प्रसाद कांग्रेस मीटिंग में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। शारिक ने कहा, “उन्होंने इन ऐतिहासिक पलों को संजोकर रखा हुआ है। भले ही आज अलग तरह के लोग अपना इतिहास गढ़ रहे हो मगर सच यही है कि आजादी की लड़ाई में यही अखबार हम हिंदुस्तानियों की आवाज़ थे। इसे 1937 में शुरू किया गया और यह हम सबकी आवाज़ बना। पंडित नेहरू ने यह अनमोल तोहफा दिया था और ये इतिहास मिटाया नही जा सकता है।”

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शारिक ने कहा, “आजकल की पत्रकारिता बुरी तरह बर्बाद हो चुकी है वो टीवी मीडिया से तो कोई संबंध नहीं रखते अब अखबार पढ़ना भी बंद कर चुके हैं। मीडिया से जानकारी के लिए सिर्फ एक जरिया है और वो सिर्फ डिजिटल माध्यम है।”

शारिक के मुताबिक, आज मुल्क को सबसे ज्यादा आपसी भाईचारे की जरूरत महसूस हो रही है जबकि मीडिया इसी को बर्बाद करने में लगा है। देश को इस मुश्किल वक़्त ‘क़ौमी आवाज़’ और ‘नेशनल हेराल्ड’ जैसे अखबारों की सख्त जरूरत है जो आमजन की आवाज़ बन सके।

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