केंद्र सरकार ने अपने कोविड प्रबंधन प्रोटोकॉल से परजीवी विरोधी दवा आइवरमेक्टिन को हटा दिया है, जिसके बाद कोरोना वायरस के प्रोफिलैक्सिस उपचार के रूप में करोड़ों रुपये की आइवरमेक्टिन टैबलेट वितरित करने की गोवा सरकार की हालिया पहल अब सवालों के घेरे में आ गई है। कांग्रेस ने आइवरमेक्टिन टैबलेट की खरीद में 22.50 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया था।
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के सर्कुलर द्वारा कोरोना के उपचार की अपनी दवाओं की सूची से कई अन्य दवाओं के बीच आइवरमेक्टिन को हटाने के कुछ घंटों बाद, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य सचिव रवि धवन को परिपत्र भेजा था। सावंत ने राज्य सचिवालय में संवाददाताओं से कहा, "मैंने स्वास्थ्य सचिव को परिपत्र भेज दिया है। हम इस पर नजर बनाए हुए हैं।"
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बता दें कि एक बड़े फैसले में, गोवा सरकार ने 10 मई को अपने कोविड उपचार प्रोटोकॉल में संशोधन किया था, जिसमें सिफारिश की गई थी कि 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों को वायरल लोड को रोकने के लिए आइवरमेक्टिन की पांच गोलियां लेनी चाहिए। इससे ज्यादा गोली लेने पर ये गोलियां आघात का और यहां तक कि कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों की मौत भी कारण बनती हैं।
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इसके बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजी राणे ने ऐलान किया था कि राज्य में सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों और महिला एवं बाल विकास अधिकारियों के साथ-साथ आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से आइवरमेक्टिन टैबलेट मुफ्त में वितरित किए जाएंगे।
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