संसद के शीतकालीन सत्र की समाप्ति से एक दिन पहले ही बुधवार को दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू हुआ था, जिसे 23 दिसंबर तक चलना था, लेकिन बुधवार को ही दोनों सदनों के सभापतियों ने इसके समापन का ऐलान कर दिया।
लोकसभा में शीत सत्र के समापन की घोषणा करते हुए स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि 17वीं लोकसभा का 7वां सत्र आज अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया। सत्र के दौरान अनेक विषयों पर सार्थक चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि इस सत्र में कुल 18 बैठकें हुईं और कई विधेयक पारित किए गए। शीत सत्र की उत्पादकता 82% रही। उन्होंने कहा कि इस सत्र के दौरान सदन 83 घंटे 12 मिनट चला। हालांकि, विरोध के कारण 18 घंटे 46 मिनट का नुकसान हुआ।
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वहीं राज्यसभा में आज सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू होने के तुरंत बाद ही सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन के पटल पर आवश्यक दस्तावेज रखवाए। इसके बाद उन्होंने राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का ऐलान कर दिया। इस दौरान सभापति नायडू ने कहा कि इस सत्र में सदन अपनी क्षमता के मुकाबले बहुत कम चला। आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप आत्मावलोकन करें कि इस सत्र में कितना अलग और बेहतर काम हो सकता था।
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दरअसल संसद के दोनों सदनों में शीत सत्र के पहले दिन से लखीमपुर खीरी हिंसा, किसानों के मुद्दे और राज्यसभा से 12 विपक्षी सांसदों के निलंबन को लेकर जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने लखीमपुर हिंसा के लिए दोनों सदनों में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के इस्तीफे की मांग उठाई। राज्यसभा से 12 विपक्षी सांसदों को निलंबित किए जाने के खिलाफ शुरू से ही संसद में हंगामा होता रहा। इस दौरान निलंबित सांसद रोज संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के पास धरना देते रहे।
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बता दें कि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने शीत सत्र के पहले दिन पिछले सत्र की घटना के लिए कांग्रेस के राज्यसभा सांसद फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई और लेफ्ट के एलाराम करीम और बिनॉय विस्वम को निलंबित किया था। वहीं मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के एक अन्य सांसद डेरेक ओ ब्रायन को भी निलंबित कर दिया गया।
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हालांकि, शीतकालीन सत्र में सरकार विधेयकों को पारित कराने और विवादास्पद कृषि विधेयकों को वापस लेने में सफल रही। वहीं विपक्ष ने भी लखीमपुर खीरी हिंसा, सांसदों के निलंबन और किसानों को मुआवजे के मुद्दे को लेकर जोरदार हंगामा किया और लगातार सरकार को घेरा। माना जा रहा है कि विपक्ष के लगातार जोरदार विरोध से बैकपुट पर आई सरकार ने बचने के लिए ही समय से पहले ससंद के शीत सत्र के समापन का फैसला लिया।
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