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हापुड़ लिंचिंगः समयदीन को जान का खतरा, मिला गनमैन, पर नहीं दर्ज हुआ बयान

हापुड़ लिंचिंग मामले के इकलौते चश्मदीद गवाह समयदीन का कहना है कि वह अपने ऊपर हुए जानलेवा हमले के बाद इसलिए इंसाफ की लड़ाई लड़ना चाहते हैं क्योंकि वे चाहते है कि ऐसा किसी और के साथ नहीं हो।

फोटो: नवजीवन 
फोटो: नवजीवन  हापुड़ लिंचिंग मामले में समयदीन ने बताया जान का खतरा

हापुड़ लिंचिंग मामले के इकलौते चश्मदीद गवाह समयदीन की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक गनमैन रख दिया है। हालांकि उत्तर प्रदेश पुलिस ने अभी तक14 जुलाई को भेजे उनके बयान का कोई जवाब नहीं दिया है। समयदीन ने अपने पत्र में मेरठ रेंज आईजी राम कुमार से मांग की थी, “मैं घटना का सच्चा और सही वर्णन करना चाहता हूं और इसलिए मेरा अनुरोध है कि मेरा बयान ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के आगे रिकॉर्ड किया जाए।” इस पर अभी तक पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया है, जिसके चलते समयदीन के परिजन में खौफ का माहौल बना हुआ है।

Published: 16 Jul 2018, 6:23 PM IST

मेरठ आईजी ने यह माना कि उन्हें समयदीन, उनके भाई यासीन और दिनेश तोमर द्वारा इमेल से भेजा गया पत्र मिल गया है। लेकिन उन्होंने आगे की कार्रवाई के बारे में अभी तक कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की है। इस बीच उत्तर प्रदेश पुलिस ने यह ट्वीट किया है कि इस मामले में रिपोर्ट समयदीन के भाई के हस्ताक्षर के साथ दर्ज की गई है और उसे लिखा दिनेश तोमर ने है।

Published: 16 Jul 2018, 6:23 PM IST

इस बारे में नवजीवन ने सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर से बात की तो उन्होंने बताया, “उत्तर प्रदेश पुलिस अभी तक यह नहीं बता पाई कि जब मॉब लिंचिग का वीडियो उसके पास था, तो उसने मोटरसाइकिल हादसे का मामला कैसे दर्ज किया? इस वीडियो में मृतक कासिम और चश्मदीद गवाह समयदीन दोनों को मारते हुए लोग दिखाई दे रहे हैं, गाय के नाम पर पिटाई कर रहे हैं, फिर मामला रोड रेज का कैसे और क्यों बनाया गया। अब तक समयदीन का बयान ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने क्यों नहीं लिया गया।” पुलिस का कहना है कि वह समयदीन का बयान 19 और 24 जून को ले चुकी है, लेकिन समयदीन इससे इनकार कर रहे हैं। वैसे भी उनका बयान ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने नहीं लिया गया, लिहाजा उसे पक्का नहीं माना जा सकता।

Published: 16 Jul 2018, 6:23 PM IST

समयदीन और उनके भाई यासीन को अपनी जान का डर है और वे वापस अपने गांव जाने की स्थिति में नहीं है। समयदीन अपने ऊपर हुए जानलेवा हमले के बाद भी इसलिए इंसाफ की लड़ाई लड़ना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा किसी और के साथ नहीं होना चाहिए। अपनी चोटों को दिखाते हुए वे बेहद दुखी होकर कहते हैं, “बीजेपी के नेता और मंत्री मेरा हाल लेने तक नहीं आए।” वे यह भी दोहराते हैं कि वह मृतक कासिम को जानते थे, और उसका गोकशी से कुछ लेना देना नहीं था। कासिम एक गरीब मुसलमान था, जो गांव-गांव जाकर बकरी और बकरी के बच्चे को खरीदने का काम करता था।

Published: 16 Jul 2018, 6:23 PM IST

समयदीन के भाई यासीन ने बताया कि किस तरह से पिलखुवा थाने में उन्हें धमकाते हुए कहा गया कि इस समय योगी और मोदी की सरकार है और पुलिस मुसलमानों पर कोई भी केस कर सकती हैं। कमोबेश यही बात दिनेश तोमर ने भी कही। दिनेश का कहना है कि इस समय उन पर बहुत दबाव है कि वह इस मामले से पीछे हट जाएं।

Published: 16 Jul 2018, 6:23 PM IST

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Published: 16 Jul 2018, 6:23 PM IST