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अपनी ही फसल के दाम के लिए हरियाणा सरकार ने किसान को बना दिया भिखारी: दीपेंद्र हुड्डा

दीपेंद्र हुड्डा ने किसान, मजदूर, दुकानदार, दिहाड़ीदार, विद्यार्थी, बेरोज़गार, ग़रीब, मध्यम वर्ग, छोटे व मझोले उद्योगों की समस्याओं को उठाते हुए हरियाणा सरकार पर हमला किया है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

कोरोना संकट में किसान-कामगार की कमर बुरी तरह टूट चुकी है। पहले फसल की ख़रीद, फिर उठान और अब पेमेंट में देरी से किसानों के सब्र का बांध टूट रहा है। सरकार ने 3 दिन में पेमेंट करने का वादा किया था, लेकिन तीन हफ्ते बाद भी किसानों की पेमेंट नहीं हुई। क्योंकि सरकार ने भुगतान की प्रक्रिया को इतना जटिल बना दिया है कि इससे किसान और आढ़ती दोनों परेशान हैं।

यह कैसी विडंबना है कि किसान को अपनी फसल का पैसा लेने के लिए भिखारी बनना पड़ रहा है। यह कहना है राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा का। दीपेंद्र हुड्डा ने किसान, मजदूर, दुकानदार, दिहाड़ीदार, विद्यार्थी, बेरोज़गार, ग़रीब, मध्यम वर्ग, छोटे व मझोले उद्योगों की समस्याओं को उठाते हुए हरियाणा सरकार पर हमला किया है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ना वक्त पर फसल की ख़रीद कर रही है और ना ही पेमेंट। ख़ुद कृषि मंत्री ने दो दिन पहले कहा था कि सरकार की तरफ से किसानों को सिर्फ़ 25 अप्रैल तक की ही पेमेंट हुई है। पिछले 20 दिनों की ख़रीद का किसान को एक भी पैसा नहीं दिया गया।

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सरकार ने गेहूं का अब तक 12,500 करोड़ में से बमुश्किल 1500 करोड़ रुपया ही किसानों को दिया है, जबकि 11000 करोड़ रुपए का भुगतान अभी बाकी है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में अब तक करीब 65 लाख मीट्रिक टन गेहूं की ख़रीद हुई है, जबकि अनुमानित आवक 120 लाख मीट्रिक टन के करीब है। इसलिए सरकार को वादे के मुताबिक दाना-दाना गेहूं का ख़रीदना चाहिए और वक्त पर पेमेंट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ख़रीद के मुक़ाबले मंडियों से उठान और धीमा है। अब तक करीब 40 लाख मीट्रिक टन गेहूं का ही उठान किया गया है। बाकी का लाखों मीट्रिक टन गेहूं हर बारिश में भीगकर मंडियों में पड़ा-पड़ा ख़राब हो रहा है।

दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार की तरफ से कई ब्लॉक में धान बुआई पर लगाई गई पाबंदी का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि “इस फ़ैसले को फौरन वापस लेना चाहिए। भारतीय किसान यूनियन समेत तमाम किसान संगठन इसकी मांग कर रहे हैं। बीकेयू की इस मांग का हम पूरी तरह समर्थन करते हैं।“

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उन्होंने कहा कि, “हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी सरकार के सामने ये मांग उठा चुके हैं। लेकिन उनकी जायज़ मांग पर ध्यान देने की बजाए सरकार में उप-मुख्यमंत्री का नेता प्रतिपक्ष की उम्र पर बयान देना दुर्भाग्यपूर्ण हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि इंसान की उम्र सरकार नहीं भगवान तय करता है। अगर उन्हें लगता है कि 60-70 साल के किसी नेता या इंसान को भावी पीढ़ी की फिक्र नहीं है तो क्या मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को भी वह इसी नज़रिए से देखते हैं। ख़ुद मुख्यमंत्री को भी बताना चाहिए कि क्या वह उप-मुख्यमंत्री की इस सोच से इत्तेफ़ाक़ रखते हैं? अब हमें लगता है कि शायद इसीलिए बुजुर्गो को 5100 रुपये पेंशन देने का वायदा पूरा नहीं किया।“

राज्यसभा सांसद ने कहा कि आज कृषि क्षेत्र देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी उम्मीद है। अगर सरकार उस पर ही मार मारेगी तो ये अर्थव्यवस्था के लिए बहुत घातक होगा। प्रदेश की अर्थव्यवस्था कोरोना काल से पहले ही ढलान की तरफ थी। विपक्ष की तरफ से बार-बार इस बारे में सरकार को चेताया गया। बावजूद इसके प्रदेश पर कर्ज़ 60 हज़ार करोड़ से बढ़कर 2 लाख करोड़ हो गया। उसका नतीजा ये है कि सरकार आज छोटे और मध्यम उद्योगों को आर्थिक राहत नहीं दे पा रही है, जबकि सरकार को चाहिए कि उन्हें जल्द आर्थिक पैकेज दे ताकि वह अपने श्रमिकों को सैलेरी दे पाएं, तभी प्रदेश से श्रमिकों का पलायन रुक पाएगा।

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दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि, “मजबूरी में आज दुकानदारों से लेकर उद्योगपतियों तक को अपने वर्कर्स को नौकरी से निकालना पड़ रहा है। सरकार उन्हें ऐसा करने से रोकने के बजाए ख़ुद अपने कर्मचारियों की छंटनी कर रही है। सरकार की तरफ से कई सफाई कर्मियों और वोकेशनल टीचर्स के बाद अब टूरिज़्म डिपार्टमेंट के भी कई कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। अगर सरकार ख़ुद कर्मचारियों को नौकरी से निकालेगी तो वह प्राइवेट सेक्टर को ऐसा करने से कैसे रोकेगी।“

दीपेंद्र ने कहा कि सरकार को मुश्किल वक्त में लोगों का सहारा बनना चाहिए, ना कि उन्हें बेसहारा करना चाहिए। सरकार लघु, कुटीर और मझोले उद्योगों के लिए आर्थिक पैकेज के नाम पर लोन का ऐलान कर रही है। जबकि उन्हें लोन नहीं तुरंत प्रभाव से आर्थिक राहत की ज़रूरत है। सरकार की तरफ से उद्योगपतियों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज, दुकानदारों व छोटे व्यवसायियों के लिए बिजली बिल, कमर्शियल टैक्स और किराए में छूट का ऐलान करना चाहिए।

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