हरियाणा सरकार में क्या बगावत हो गई है? खट्टर सरकार में सबसे ताकतवर महकमा संभालने वाले अनिल विज बीजेपी-जेजेपी सरकार में बनाए गए दो नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में आए ही नहीं। इससे एक बार फिर यह साबित हो गया है कि इस सरकार में सत्ता के दो केंद्र हैं। शाम चार बजे शुरू होने वाला समारोह 20 मिनट देरी से आरंभ हो पाया, जिसकी वजह भी अनिल विज ही माने जा रहे हैं। सरकार के सूत्रों का कहना है कि अंतिम समय तक विज को मनाने की कोशिश हुई लेकिन सरकार कामयाब नहीं हो पाई।
Published: undefined
हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी सरकार बनने के करीब सवा दो साल बाद मंगलवार को चिरप्रतीक्षित मंत्रिमंडल का विस्तार हो तो गया, लेकिन यह इस बात की फिर तस्दीक कर गया कि सरकार में दरार गहरी है। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद बनी गठबंधन सरकार में मंत्रियों के दो पद खाली रखे गए थे, जिससे किसी तरह की नाराजगी या समीकरण को साधने की गुंजाइश बनी रहे। इसमें एक मंत्री बीजेपी कोटे से बनना था और एक जेजेपी के कोटे से। तभी से हर महीने या दो महीने में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा जोर पकड़ लेती थी। बीते एक महीने से तो कई तारीखें भी सामने आ चुकी थीं। आखिर 27 दिसंबर को सारी अटकलों को विराम देते हुए वह तारीख आई कि 28 को शाम चार बजे शपथ ग्रहण समारोह हरियाणा राजभवन में होगा।
Published: undefined
तारीख तो तय हो गई, लेकिन जो हुआ शायद इसी से बचने के लिए दो साल से अधिक समय तक इसे टाला गया। घड़ी की सुई चार पर पहुंचने के साथ ही मीडिया की निगाहें उन माननीयों को तलाश रही थीं, जिन्हें मंत्री पद से नवाजा जाना था या मंत्री न बनाए जाने या विभाग छिनने से नाराजगी के चलते जिनके न आने का अंदेशा था। नियत समय से एक-एक मिनट घड़ी की सुई आगे बढ़ने के साथ ही अटकलों की तीव्रता बढ़ती चली गई। अंत में सुई अनिल विज पर जाकर अटक गई। शपथ ग्रहण समारोह चार बजे की जगह चार बजकर बीस मिनट पर शुरू हो पाया और चंद मिनट में खत्म हो गया, लेकिन अनिल विज नहीं आए। बस, कार्यक्रम की यही ब्रेकिंग थी और चारों तरफ इसी की चर्चा शुरू हो गई।
Published: undefined
अनिल विज सरकार के वह मंत्री हैं, जो गृह मंत्रालय के साथ ही, स्वास्थ्य और स्थानीय निकाय जैसे महकमे भी संभालते हैं। बीजेपी-जेजेपी सरकार में बेशक मुख्यमंत्री के पास करीब दो दर्जन से ज्यादा और उपमुख्यमंत्री के पास दर्जन भर मंत्रालय हैं, लेकिन ताकतवर मंत्रालयों के नजरिये से अनिल विज को सरकार में नंबर दो माना जाता है। राज्य में बीजेपी की जीत के बाद खुद को मुख्यमंत्री का स्वाभाविक दावेदार मामने वाले छह बार के विधायक अनिल विज और सीएम मनोहर लाल खट्टर के बीच टकराव कोई नया नहीं है। सरकार गठन के साथ ही शुरू हुआ यह सिलसिला बदस्तूर जारी है।
Published: undefined
अनिल विज की ओर से शपथ ग्रहण समारोह के किए गए बायकाट से एक बार फिर यह साबित हो गया है कि इस सरकार में सत्ता के दो केंद्र हैं। एक केंद्र हरियाणा सचिवालय की पांचवीं मंजिल पर है, जहां मुख्यमंत्री बैठते हैं और दूसरा केंद्र सचिवालय की आठवीं मंजिल पर है, जहां अनिल विज बैठते हैं। ऐसा नहीं कि सरकार ने इसको टालने की कोशिश नहीं की। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक शपथ ग्रहण से पहले करीब पौने चार बजे सीएम आवास पर अनिल विज की उनके साथ बैठक हुई है, लेकिन मुख्यमंत्री कामयाब नहीं हो पाए। अनिल विज की इस बगावत की वजह उनके विभाग कम करने की कोशिश को माना जा रहा है।
ऐसा नहीं है कि बीजेपी में ही यह हालात हैं। शपथ ग्रहण समारोह से पहले दुष्यंत चौटाला के आवास पर हुई जननायक जनता पार्टी के विधायकों की बैठक में भी दो विधायक नहीं आए। 10 में से आठ विधायक ही बैठक में पहुंचे। जाहिर है कि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है।
Published: undefined
दो मंत्रियों के शपथ लेने के बाद खट्टर सरकार में मंत्रियों की संख्या अब 14 हो गई है। 90 सदस्यीय विस में अधिकतम 14 विधायक ही मंत्री बनाए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद कह भी दिया कि यह सरकार का पहला और अंतिम कैबिनेट विस्तार है। इसमें बीजेपी कोटे से कमल गुप्ता को मंत्री बनाया गया है, जो वैश्य समाज से हैं। बीजेपी में 8 विधायक वैश्य समाज से हैं। बीजेपी के कोटे से सीएम और गृह मंत्री अनिल विज पंजाबी हैं। कमलेश ढांडा, रणजीत सिंह और जेपी दलाल जाट समाज से हैं, जबकि बनवारी लाल दलित मंत्री हैं। ब्राहमण समाज से एकमात्र मूलचंद शर्मा, पिछड़ा वर्ग से ओपी यादव और कंवर पाल गुर्जर मंत्री हैं, जबकि खेल मंत्री संदीप सिंह सिख समाज से हैं।
वहीं, जेजेपी के दस विधायकों में चार दलित, एक ब्राहमण और पांच जाट विधायक हैं। दलित कोटे से अनूप धानक मंत्री है, जबकि ब्राहमण विधायक रामकुमार गौतम नाराज हैं। मंत्री बनाए गए देबेंद्र बबली जाट हैं। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से बीजेपी के पास 40, जेजेपी के पास 10, कांग्रेस के 31, एक इनेलो, एक हलोपा और 7 निर्दलीय विधायक हैं।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined