प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र की बीजेपी सरकार नोटबंदी जैसा ही एक और कदम उठाने वाली है। सरकार की नजर अब सोने में किए गए निवेश पर है। योजना बनी है कि एक तय मात्रा से अधिक अगर बिना रसीद या बिल का सोना किसी के पास है तो उसे टैक्स भरना होगा। सूत्रों का कहना है कि सरकार का यह कदम सोने खरीदने में इस्तेमाल हुए काले धन को बाहर निकालने के लिए है। इसके लिए सरकार कोई एम्नेस्टी स्कीम भी ला सकती है।
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सीएनबीसी की खबर में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि वित्त मंत्रालय के इकोनॉमिक अफेयर्स विभाग और राजस्व विभाग ने मिलकर इस स्कीम का मसौदा तैयार किया है. वित्त मंत्रालय ने अपना प्रस्ताव कैबिनेट के पास भेजा है। जल्द ही कैबिनेट से इसको मंजूरी मिल सकती है। अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में ही कैबिनेट में इस पर चर्चा होनी थी। महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव की वजह से आखिर समय पर फैसला टाला गया।
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गौरतलब है कि 2016 में भी दिवाली के बाद नवंबर महीने मोदी सरकार ने कालेधन को बाहर निकालने के लिए नोटबंदी का ऐलान किया था। सोने पर सरकार की योजना को भी नोटबंदी के अगले चरण के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि काले धान का एक बड़ा हिस्सा सोने में निवेश के रूप में मौजूद है।
हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि सोने पर लगने वाले टैक्स की दर क्या होगी, लेकिन सूत्र संकेत देते हैं कि यह 30 फीसदी हो सकता है। ध्यान रहे कि नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना लॉन्च की थी, जिसे आईडीएस-2 के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन इस योजना के अपेक्षित नतीजे नहीं निकले थे। इस योजना में जो कसर रह गई थी, सरकार गोल्ड एम्नेस्टी स्कीम के जरिए उसकी भरपाई करना चाहती है।
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सूत्रों के मुताबिक गोल्ड एम्नेस्टी स्कीम भी इनकम टैक्स एम्नेस्टी स्कील की तरह ही एक तय समय के लिए लाई जाएगी। बताया जाता है कि इस स्कीम की सलाह नीति आयोग ने दो साल पहले की थी। एक अनुमान के मुताबिक, देशवासियों के पास करीब 20 टन सोना है। वैसे तस्करी कर और कालेधन से हासिल सोने को मिला लें तो करीब 30 टन तक हो सकता है सोने का स्टॉक।
नाम गोपनीय रखने की शर्त पर एक विश्लेषक ने बताया, 'यह विचार अच्छा है, लेकिन प्रभावी रूप से लागू करना मुश्किल है। लोगों ने सोने को लंबे समय से अपने पास रखा है और कई अवसरों पर यह विरासत में भी मिलता है, जिसमें कोई लेनदेन नहीं होता और इनका बिल मिलना मुश्किल है। सोने की घोषणा के लिए लोगों पर दबाव डालना मुश्किल है।' उन्होंने कहा कि इसके अलावा एक डर यह भी है कि लोगों को टैक्स अधिकारियों का शोषण झेलना पड़े।
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उद्योग से जुड़े लोगों ने गोल्ड ऐम्नेस्टी स्कीम को लेकर को एक नए मॉडल का सुझाव दिया है, ताकि यह स्कीम सफल हो सके। सुझाव में कहा गया है कि घोषित गोल्ड के बदले सरकार 10 साल के लिए जीरो कूपन बॉन्ड जारी कर सकती है।
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