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अटाला मस्जिद मामले पर सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने कहा- 'सर्वे से कोई आपत्ति नहीं, पर मीडिया ट्रायल न किया जाए'

वहीं, हिन्दू पक्ष फोर्स के साथ मस्जिद के सर्वे की मांग कर रहा था।। मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा है। कोर्ट अब 16 दिसंबर को तय करेगा कि अमीन सर्वे में कौन-कौन रहेगा।

फोटो: IANS
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अटाला मस्जिद मामले में सर्वे के साथ सुरक्षा की मांग की सुनवाई पर मंगलवार को सिविल जज जूनियर डिवीजन शहर कोर्ट में बहस लगभग एक घंटे चली।

 स्वराज वाहिनी एसोसिएशन की तरफ से अमीन सर्वे के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की गई, जबकि मुस्लिम पक्ष ने कहा कि हमें सर्वे से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मामले का मीडिया ट्रायल न किया जाए। इस पर हिन्दू पक्ष स्वराज वाहिनी एसोसिएशन के वकील रामसिंह ने कोर्ट से कहा कि मीडिया स्वतंत्र है। उसके कार्य में हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं।

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 वहीं, हिन्दू पक्ष फोर्स के साथ मस्जिद के सर्वे की मांग कर रहा था।। मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा है। कोर्ट अब 16 दिसंबर को तय करेगा कि अमीन सर्वे में कौन-कौन रहेगा।

 स्वराज वाहिनी एसोसिएशन हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता राम सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा, “अदालत पर यह जिम्मेदारी है कि वह यह तय करे कि कौन अमीन जाएगा और किस तारीख को जाएगा। इस पर मुस्लिम पक्ष ने अपनी जवाबदेही पेश की है और उन्हें 16 तारीख को अपनी आपत्ति प्रस्तुत करने का एक और अवसर दिया गया है। आज इस मामले पर बहस हुई थी, और उसी बहस को देखते हुए 16 तारीख को अमीन की नियुक्ति और पैमाइश के संबंध में अग्रिम आदेश दिए जाएंगे। पहले भी इस संबंध में आदेश जारी किया गया था, जिसमें पुलिस बल की उपस्थिति में पैमाइश कराने का निर्देश दिया गया था।”

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 उन्होंने आगे कहा, “आज की सुनवाई लगभग एक घंटे तक चली। हमारी तरफ से यह पक्ष रखा गया कि पैमाइश पुलिस बल की उपस्थिति में कराई जाए। वहीं, विपक्षी पक्ष ने मीडिया ट्रायल पर आपत्ति जताई, यह कहते हुए कि ऐसी कोई स्थिति नहीं है जो मीडिया को इस मामले में शामिल करे। हमारी तरफ से यह कहा गया कि मीडिया की स्वतंत्रता है और लोकतंत्र में मीडिया को अपनी बात रखने और लोगों से अपनी इच्छाएं जानने का अधिकार है। न्यायालय या किसी अन्य व्यक्ति को मीडिया के कार्यों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है और सच्चाई को बाहर आने देना चाहिए। इसके लिए वे तरह-तरह से बाधा उत्पन्न करने की कोशिश कर रहे हैं।”

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 उन्होंने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय में 12 तारीख तक स्थिति स्पष्ट नहीं है और उसके बाद ही कोई आगे की कार्यवाही होनी चाहिए। हमारी तरफ से यह आपत्ति जताई गई कि अब तक किसी न्यायालय से इस संबंध में कोई स्थगन आदेश पारित नहीं हुआ है। इसलिए स्थानीय न्यायालय अपनी कार्यवाही जारी रख सकता है।”

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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