दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर हलचल बढ़ गई है। गुरुवार को एकाएक भारी तादाद में यूपी पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों को गाजीपुर बॉर्डर भेजकर मार्च कराया गया, इससे धरने में मौजूद किसानों में हल्की बेचैनी भी है। इससे पहले बुधवार रात में किसानों को धरना स्थल की बिजली भी बंद कर दी गई थी और गुरुवार सुबह किसानों के लिए आने वाले पानी के टैंकर भी रोके गए थे।
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गुरुवार दोपहर बाद अचानक भारी तादाद में उत्तर प्रदेश पुलिस के जवानों और रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों का गाजीपुर आना शुरु हो गया। इन जवानों को एनएच-24 के दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाले रास्ते पर बस से उतारा गया, जबकि किसान गाजियाबाद से दिल्ली जाने वाले रास्ते पर धरना दे रहे हैं। ये सारे जवान रायट गियर (दंगा रोकने के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरण), आंसू गैस गन आदि से लैस थे। इन्हें ठीक उस जगह कतारबद्ध तरीके से उस जगह से मार्च कराते हुए ले जाया गया जहां सड़क के दूसरी तरफ किसान आंदोलन का मंच है। जिस समय ये जवान वहां पहुंचे, उस समय एआईकेएस के हन्नान मोल्ला मंच पर भाषण दे रहे थे और राकेश टिकैत समेत बाकी सभी किसान नेता मंच पर मौजूद थे।
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इन जवानों को देखते ही मीडिया में खलबली के साथ ही किसानों में भी उत्सुकता देखी गई कि आखिर इतनी भारी तादाद में पुलिस बल क्यों आया है। लेकिन इन जवानों को पैदल मार्च कराते हुए धरना स्थल के दूसरी तरफ आनंद विहार जाने वाले रास्ते पर भेज दिया गया।
इस दौरान मंच से किसान नेताओं ने ऐलान किया कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है। नेताओं का कहना था कि इस तरह से किसानों को डराने की कोशिश की जा रही है। अगर पुलिस को नेताओं को गिरफ्तार करना है तो आकर बात करें।
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भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव राकेश टिकैत ने कहा कि पुलिस ने उन्हें तीन दिन का नोटिस दिया है, इसका जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा, "अगर प्रशासन को आंदोलन खत्म कराना है, गिरफ्तारी करनी है तो आएं लिखित पढ़त के साथ बातचीत करें और शांतिपूर्ण तरीके से गिफ्तारी करें।" उन्होंने कहा कि किसान शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं इसलिए पुलिस या प्रशासन की तरफ से भी शांति भंग न की जाए।
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इस दौरान धरना स्थल पर किसानों की संख्या में भी कमी देखी गई। बहुत से टेंट हट चुके हैं। कई जगह किसान अपना सामान समेटते भी नजर आए। बीते दो महीनों से जो रौनक और जोश नजर आ रहा था उनमें कुछ कमी सी धरना स्थल पर साफ महसूस की जा सकती है।
गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी दिल्ली में हुई घटनाओं और खासतौर से लाल किले की घटना के बाद से हालात में बदलाव आया है। करीब 63 दिनों से जारी किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन पर हिंसक होने के आरोप लगने लगे हैं। इस बीच पुलिस ने दावा किया है कि हिंसा की घटनाओं में उसके करीब 300 जवान जख्मी हुए हैं। पुलिस ने इस सिलसिले में दो दर्जन से ज्यादा एफआईआर दर्ज की हैं जिनमें किसान नेताओं को भी नामजद किया गया है। साथ ही किसान नेताओं को नोटिस देकर तीन दिन में जवाब मांगा गया है।
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