बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए ‘स्टैंड-अप कॉमेडियन’ कुणाल कामरा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने संबंधी याचिका पर बुधवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया और कहा कि तब तक उन्हें (कामरा को) गिरफ्तार करने की जरूरत नहीं है।
कुणाल कामरा के वकीलों की दलील दी कि हम मांग करते हैं कि एफआईआर रद्द की जाए और जांच पूरी तरह रोक दी जाए। अनुच्छेद 19-ए के अनुसार यह मामला एक हास्य अभिनेता की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित है। इसके अनुसार कोई अपराध नहीं हुआ है। मशीनरी का उपयोग करके एक व्यक्ति को डराने और दबाने का प्रयास किया गया है। इसलिए यह मामला दुर्लभ श्रेणी में आता है।
इसके साथ ही वकीलों ने दलील दी कि जिस व्यक्ति की बदनामी हुई, उसने शिकायत नहीं की। जिन लोगों ने शिकायत की है, उन्होंने यह नहीं कहा है कि उनकी मानहानि की गई है। इस तरह से मामला दर्ज करना सत्ता का दुरुपयोग है।
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न्यायमूर्ति एस कोतवाल और न्यायमूर्ति एस मोदक की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अदालत ने पुलिस से कहा कि इस मामले में आदेश पारित होने तक कामरा को गिरफ्तार न किया जाए।
मुंबई के एक कॉमेडी शो के दौरान शिंदे के बारे में परोक्ष रूप से ‘‘गद्दार’’ टिप्पणी करने के आरोप में खार थाने में कामरा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
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कामरा (36) ने शिवसेना विधायक की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। उनके खिलाफ अन्य थानों में भी शिकायतें दर्ज हैं।
कामरा ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उनके खिलाफ शिकायतें उनके भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, कोई भी पेशा और व्यवसाय करने के अधिकार तथा संविधान के तहत प्रदत्त जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं।
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तमिलनाडु के निवासी कामरा को पिछले महीने मद्रास उच्च न्यायालय से इस मामले में अंतरिम ट्रांजिट अग्रिम जमानत मिली थी। तीन बार समन भेजे जाने के बावजूद कामरा मुंबई पुलिस के समक्ष पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए।
भाषा के इनपुट के साथ
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