दिल्ली विधानसभा में बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों ने दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा के इस्तीफे की मांग उठाई। उन्होंने आरोप लगाया कि कपिल मिश्रा ने 2020 के दंगों को भड़काने में अहम भूमिका निभाई थी और अब कोर्ट के आदेश के बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है।
'आप' विधायकों ने विधानसभा में हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी की और सदन के वेल में आकर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मांग की कि कपिल मिश्रा को तत्काल मंत्रिमंडल से हटाया जाए।
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जानकारी मिली है कि इस हंगामे के चलते विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सात विधायकों कुलदीप कुमार, संजीव झा, मुकेश अहलावत, सुरेंद्र कुमार, जरनैल सिंह, आले मोहम्मद और अनिल झा को निलंबित कर दिया।
'आप' विधायक संजीव झा ने कहा, "पांच साल बाद कोर्ट ने कहा है कि कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर हो। यह साबित हो गया है कि वह दंगों में शामिल थे। बावजूद इसके, पुलिस ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे व्यक्ति को मंत्री पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि दिल्ली में कोई दंगाई मंत्री नहीं बन सकता।"
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विधायक जरनैल सिंह ने भी कपिल मिश्रा पर निशाना साधते हुए कहा, "कोर्ट ने साफ कर दिया है कि कपिल मिश्रा की भूमिका दंगों में थी और उनके खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए। ऐसे व्यक्ति को पवित्र सदन में बैठने का अधिकार नहीं है। अगर वे खुद नैतिकता के आधार पर इस्तीफा नहीं देते हैं, तो मुख्यमंत्री को उनका इस्तीफा लेना चाहिए।"
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वहीं, आतिशी ने भी बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "राउज एवेन्यू कोर्ट ने कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया है। दिल्ली और देश ने देखा था कि उन्होंने भड़काऊ भाषण दिए थे, जिससे 53 लोगों की मौत हुई। अब सवाल उठता है कि दिल्ली पुलिस उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है? मुख्यमंत्री उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर क्यों नहीं कर रहीं?"
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आईएएनएस के इनपुट के साथ
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