
कांग्रेस की बिहार इकाई ने राज्य की एनडीए सरकार पर आरोप लगाया कि उसने बीजेपी के इशारे पर चुनावी चंदे के लालच में 1,200 एकड़ कृषि योग्य भूमि अडानी पावर को मात्र एक रुपये वार्षिक किराये पर 33 साल के लिए सौंप दी।
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मीडिया विभाग के चेयरमैन और मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कांग्रेस पार्टी के प्रदेश मुख्यालय ‘सदाकत आश्रम’ में शुक्रवार को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में सरकारी बिजली कंपनियां मौजूद होने के बावजूद अडानी पावर को भूमि आवंटित करना सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करता है।
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उन्होंने आरोप लगाया कि इसके लिए लगभग 10 लाख आम और लीची जैसे वृक्षों की कुर्बानी दी जा रही है जबकि इस परियोजना से देश में सबसे महंगी दर 6.75 रुपये प्रति यूनिट बिजली मिलने वाली है।
राठौड़ ने कहा कि बीजेपी ‘एक पेड़ मां के नाम’ का नारा देकर लोगों को गुमराह कर रही है और वहीं दूसरी ओर किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा दिए बिना भयभीत कर भूमि अधिग्रहित कर रही है।
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उन्होंने दावा किया कि 2013 में यूपीए सरकार द्वारा बनाए गए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत किसानों को ‘सर्किल रेट’ से चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि साथ ही नियम के अनुसार पांच वर्षों तक जमीन का इस्तेमाल नहीं होने पर उसे वापस करना अनिवार्य है।
उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार और बीजेपी ने चुनाव से पहले अडानी पावर को फायदा पहुंचाने के लिए यह फैसला लिया है।
कांग्रेस ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की और साथ ही यह भी कहा कि प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा देने के अलावा उर्जा संयंत्र में स्थानीय युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
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