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चुनावी मौसम की ‘गरमी’ में बीजेपी पर भारी न पड़ जाए दिल्ली पुलिस की ‘नरमी’! 

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर किसी नए और मजबूत चेहरे को बैठा दे और आम आदमी पार्टी के हाथ आने वाले संभावित मुद्दे को छीन ले।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

राष्ट्रीय राजधानी में दिन दहाड़े घट रहीं आपराधिक घटनाएं मौजूदा पुलिस आयुक्त पर भारी पड़ सकती हैं। खबरों के मुताबिक, केंद्र की मौजूदा बीजेपी सरकार यह जोखिम लेने को कतई तैयार नहीं है कि उसकी धुर-विरोधी आम आदमी पार्टी दिल्ली की ढीली कानून-व्यवस्था को मुद्दा बनाकर दिल्ली के सिंघासन पर फिर से काबिज हो जाए।

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ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर किसी नए और मजबूत चेहरे को बैठा दे और 'आप' के हाथ आने वाले संभावित मुद्दे को छीन ले। दूसरी ओर सूत्रों के अनुसार, मौजूदा पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक इस जोड़तोड़ में जुटे हुए हैं कि दिल्ली की बदतर कानून-व्यवस्था पर हाल-फिलहाल कैसे भी काबू पाकर दिल्ली में सरकार बनवाकर ही यहां से विदा लें।

सूत्रों ने बताया, “पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में कायम पुलिस की शांति और अपराधियों के कोहराम पर, केंद्रीय गृह-मंत्रालय की पैनी नजर है। इसी का नतीजा था कि बीते सप्ताह आयोजित बैठक में दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली पुलिस आयुक्त की क्लास ली। उस मीटिंग के अगले दिन ही दिल्ली पुलिस आयुक्त ने अपने मातहतों को बंद कमरे में खूब खरी-खोटी सुनाई।” कुल मिलाकर ये तमाम बदले हुए समीकरण भी दिल्ली-पुलिस में किसी बड़े फेर-बदल की ओर साफ-साफ इशारा कर रहे हैं।

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राजनीतिक गलियारों से छनकर बाहर आ रही खबरों के मुताबिक, केंद्रीय नेतृत्व आगामी विधानसभा चुनाव में किसी भी कीमत पर दिल्ली को खोने के लिए राजी नहीं है। उसके इन बुलंद इरादों से इसकी तस्दीक तो साफ-साफ होती है कि दिल्ली का सिंघासन संभालने की उम्मीद में केंद्रीय नेतृत्व को अगर लगा तो वह दिल्ली पुलिस आयुक्त की कुर्सी पर अमूल्य पटनायक की जगह उनसे भी ज्यादा काबिल और काम के किसी आईपीएस को लाकर बैठाने में भला वह क्यों संकोच करेगा?

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यहीं से यह सवाल जन्म लेता है कि अमूल्य पटनायक की जगह आखिर कौन उनकी कुर्सी का दावेदार हो सकता है? नाम निकल कर सामने आते हैं सच्चिदानंद श्रीवास्तव (एसएन श्रीवास्तव, 1985 बैच के अग्मू काडर)। एसएन श्रीवास्तव फिलहाल केंद्रीय सुरक्षा बल यानी सीआरपीएफ मुख्यालय दिल्ली में विशेष निदेशक के पद पर तैनात हैं। उन्हें पुलिस उपायुक्त, संयुक्त आयुक्त से लेकर दिल्ली में विशेष आयुक्त तक काम करने का अनुभव हासिल है। दिल्ली में डीसीपी रहते हुए उन्होंने राजधानी के गली-मुहल्ले घूमे हैं।

पुलिस आयुक्त की दौड़ में दूसरा नाम एसएन श्रीवास्तव के ही बैच के आईपीएस अधिकारी अजय कश्यप का भी शामिल था। लेकिन तिहाड़ जेल के महानिदेशक पद से रातों-रात हटाए जाने के कारण दिल्ली पुलिस आयुक्त पद की दौड़ से वह लगभग बाहर हो गए हैं। तिहाड़ जेल से अचानक हटाए गए अजय कश्यप फिलहाल होमगार्ड में अपना वक्त काट रहे हैं।

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केंद्रीय गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, “दिल्ली-पुलिस-आयुक्त की कुर्सी के लिए अजय कश्यप और एस एन श्रीवास्तव के साथ ही 1987 बैच और अग्मू काडर के आईपीएस ताज हसन के नाम की भी चर्चा है। ताज हसन फिलहाल दिल्ली पुलिस में ही विशेष आयुक्त (यातायात) के पद पर बैठे हैं। ताज हसन के रिटायरमेंट में भी अभी काफी वक्त है। साथ ही ताज हसन ने भी दिल्ली में लंबे समय तक पब्लिक से सीधे जुड़ी रहने वाली कई पोस्टिंग काटी हैं।”

हालांकि वरिष्ठता सूची में देखा जाए तो ताज हसन से पहले यानी 1986 बैच के आईपीएस राजेश मलिक (मौजूदा समय में दिल्ली पुलिस में ही विशेष आयुक्त सामान्य प्रशासन) और प्रोविजन एंड लॉजिस्टिक में विशेष पुलिस आयुक्त एस नित्यानंदम का भी नाम उछला था। ये दोनों नाम मगर एसएन श्रीवास्तव से काफी पीछे चले गए हैं। वजह, राजेश मलिक के खिलाफ पुडुचेरी में 2018 में वहां तैनाती के दौरान कुछ ‘काला-सफेद’ हो चुका है। उन्हें वहां से रातों-रात दिल्ली वापस लौटना पड़ा था। जबकि एस नित्यानंदम के पास सेवा-काल ही बहुत कम बचा है। साथ ही नित्यानंदम की दिल्ली की जनता पर कभी पकड़ भी बेहतर नहीं रही थी।

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घूम फिरकर दिल्ली के संभावित नए पुलिस आयुक्त के लिए फिलहाल एसएन श्रीवास्तव का ही नाम उभरकर सामने आ रहा है। उनके साथ बस एक अदद मुसीबत यह होगी कि वह खुद को सीबीआई के विवादित पूर्व निदेशक आलोक कुमार वर्मा के साथ अपने कथित मधुर-संबंधों को किस तरह केंद्र सरकार की नजरों से बचा पाएंगे।

हालांकि केंद्र सरकार के गलियारों में चर्चा यह भी गरम है कि कुर्सी से हटने-हटाने की चिंता से दूर मौजूदा पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक दिल्ली में सरकार बनवाने तक पद पर बने रहने के लिए सेवा-विस्तार की बाट जोह रहे हैं। शायद इसीलिए दिल्ली में 10-15 दिनों में बढ़े क्राइम-ग्राफ के बाद पटनायक ने भी खुद की चाल धीमे-धीमे ही सही तेज कर दी है।

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बस कहीं ऐसा न हो कि हर हाल में दिल्ली की गद्दी के लिए उतावली बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व कहीं किसी और काडर (अग्मू छोड़कर बाहरी राज्य के किसी आईपीएस) के आईपीएस को दिल्ली का पुलिस आयुक्त न बना दे। जिस तरह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने यूपी काडर के आईपीएस अजयराज शर्मा को दिल्ली पुलिस आयुक्त बना दिया था।

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