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भारत में सोशल मीडिया के जरिए किया जाता है झूठा प्रचार, ‘स्टेट एक्टर्स’ करते हैं ये काम, रिपोर्ट में खुलासा

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सोशल मीडिया प्रोपगैंडा का इस्तेमाल अफवाह फैलाने और मीडिया को भ्रमित करने, डाटा की रणनीति को आगे बढ़ाने और ट्रोल आर्मी के जरिए उन लोगों की फजीहत करने में की जाती है जो राय विशेष से सहमत नहीं होते हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

ऑक्सफोर्ड के ‘कम्प्यूटेशनल प्रोपगैंडा प्रोजेक्ट’ की रिपोर्ट से भारत में सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। भारत को उन सात देश में शामिल किया गया है, जहां सोशल मीडिया के जरिए झूठा प्रचार किया जाता है। इन देशों को ‘स्टेट एक्टर्स’ कहा जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ‘साइबर ट्रूप्स’ के कम से कम सात उदाहरण पाए गए और इनमें निजी तौर पर काम करने वाले सबसे ज्यादा ‘साइबर ट्रूप्स’ सक्रिय दिखाई दिए।

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शोधकर्ताओं ने तीन वर्षों में 70 देशों की जांच की। इसके बाद इस रिपोर्ट को तैयार किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, मौलिक मानवाधिकारों को दबाने, राजनीतिक विरोध को खारिज करने और राजनीतिक असंतोष को बाहर निकालने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साइबर टुकड़ी की गतिविधि के दो उदाहरण हैं, एक राजनीतिक दल और राजनेताओं के लिए काम करना, दूसरे में सिविलि सोसाइटी से जुड़े संगठन हैं जो इसका इस्तेमाल नागरिकों के विचारों को प्रभावित करने के लिए करते हैं।

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शोधकर्ताओं ने भारत को लेकर यह पाया कि सोशल मीडिया प्रोपगैंडा का इस्तेमाल अफवाह फैलाने और मीडिया को भ्रमित करने, डाटा की रणनीति को आगे बढ़ाने, हैशटैग के जरिए कंटेंट को प्रचारित करने और ट्रोल आर्मी के जरिए उन लोगों की फजीहत करने में की गई जो राय विशेष से सहमत नहीं होते थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इनके निशाने पर विरोधी पक्ष और पत्रकार ज्यादा होते हैं।

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रिपोर्ट के मुताबिक, जो संगठन राजनीतिक दलों के लिए काम करते हैं उनके पास यह जिम्मेदारी होती है कि वो ऑनलाइन जनता की सोच को बदलें। भारत के अलावा अमेरिका, मलेशिया, फिलिपिंस और यूएई इस तरह के प्रोपगैंडे के प्रयोग का दायरा बहुत ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ‘साइबर ट्रूप्स’ को ‘मध्यम-क्षमता’ वाला बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 50 से 300 लोगों की टीमें ढेर सारे कॉन्ट्रैक्ट और विज्ञापन पर करीब 1.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्चे करती हैं। इस श्रेणी में ब्राजील, पाकिस्तान और ब्रिटेन जैसे देश भी आते हैं।

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शोधकर्ताओं ने पाया कि 70 देशों में से 44 कैंपेन सरकार द्वारा सरकार की ओर से जुड़े अभियानों से थे। इसके अलावा 45 में राजनीतिक दलों या राजनेताओं के नेतृत्व में अभियान थे। रिपोर्ट में चौंका देने वाली बात यह है कि सोशल मीडिया द्वारा लोगों की सोच को प्रभावित करने की इस मुहिम में 150 प्रतिशत बढ़ोतरी देखी गई।

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