पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने दावा किया कि उन्हें हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अब्दुल गनी भट के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए सोपोर जाने से रोका गया और घर में नजरबंद कर दिया गया। महबूबा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “प्रोफेसर अब्दुल गनी भट के निधन पर शोक व्यक्त करने जा रहे नेताओं को नजरबंद करना जम्मू-कश्मीर की सख्त और अलोकतांत्रिक सच्चाई को उजागर करता है।
बता दें कि प्रो. अब्दुल गनी भट का निधन बुधवार शाम को सोपोर स्थित उनके आवास पर लंबी बीमारी के बाद हुआ था।
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महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में हजरतबल दरगाह में हुई घटना का भी ज़िक्र किया, जहां राष्ट्रीय प्रतीक से जुड़ी पट्टिका को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। उन्होंने कहा, हजरतबल की घटना कोई अकेली प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि यह एक स्वाभाविक जनाक्रोश था। हाशिए पर डाले गए लोगों की ओर से एक स्पष्ट संदेश। लेकिन बीजेपी इस सच्चाई को जानबूझकर अनदेखा कर रही है और वर्षों से पनप रहे दर्द और भावनाओं को नज़रअंदाज़ कर रही है।
आपको बता दें, इस विवाद में, विभिन्न राजनीतिक दलों ने वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी पर धार्मिक स्थल में राष्ट्रीय प्रतीक के प्रयोग को लेकर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया था। उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने और तत्काल बर्खास्त करने की मांग की गई थी।
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महबूबा मुफ्ती ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, यह साफ होता जा रहा है कि बीजेपी की कश्मीर में शांति या सुधार में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसके उलट, वे जानबूझकर यहां अशांति बनाए रखना चाहते हैं ताकि देश के अन्य हिस्सों में उसका राजनीतिक लाभ उठा सकें। यह न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि खतरनाक और निंदनीय भी है।
महबूबा मुफ्ती अकेली नहीं थीं जिन्हें सोपोर जाने से रोका गया। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और विधायक सज्जाद लोन ने भी दावा किया कि उन्हें उनके घर में नजरबंद कर दिया गया ताकि वे गनी भट के पैतृक गांव बोटिंगू न जा सकें।
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लोन ने कहा, यह समझ से परे है कि एक शांति-प्रिय और सेवानिवृत्त व्यक्ति के जनाज़े में शामिल होने से हमें क्यों रोका गया। हम सभी उन्हें अंतिम विदाई देने के हकदार थे। इसी तरह, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के वर्तमान अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने भी कहा कि उन्हें बुधवार देर रात से नजरबंद कर दिया गया है। उन्होंने पोस्ट करते हुए कहा, “मुझे गनी साहब के जनाज़े में शामिल होने से रोका गया और उनके परिवार को जल्दबाज़ी में अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया गया। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
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