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यूक्रेन-रूस युद्ध: जंग के दो दिनों में ही हजारों लोगों ने यूक्रेन छोड़ा, रो-रोकर आपबीती सुना रहे लोग

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद हजारों लोग सीमा पार कर पड़ोसी देशों में पहुंच रहे हैं। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं, लड़ने की उम्र के पुरुषों को देश के अंदर ही रहने के लिए कहा गया है।

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यूक्रेन से निकले लोगों ने पोलैंड, रोमानिया, हंगरी और स्लोवाकिया में शरण ली है। शुक्रवार को पूरे दिन रूसी मिसाइलों का शोर यूक्रेन के आकाश में गूंजता रहा। देश के बाहर निकलने वाली सड़कों पर गाड़ियों की कई किलोमीटर लंबी कतारें लग गई हैं।

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इलाके में यूक्रेन के बाद यूक्रेनी लोगों की सबसे बड़ी तादाद पोलैंड में रहती है। अधिकारियों का कहना है कि यहां कुछ जगहों पर सीमा पार करने में लोगों को 6 से 12 घंटे तक का इंतजार करना पड़ रहा है।. पश्चिमी यूक्रेन के लीव शहर से 85 किलोमीटर दूर पोलैंड के दक्षिणी शहर मेडिका तक जाने वाली सड़क कारों से भरी पड़ी है। पुलिस को उन्हें संभालने में भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। इंटरनेट नक्शे वाली वेबसाइटें बता रही हैं कि पूरे रास्ते का करीब एक-तिहाई हिस्सा भारी ट्रैफिक जाम में फंसा है।

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रो-रोकर आपबीती बता रहे लोग

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30 साल की लुडमिला ने रोते हुए कहा, "केवल औरतें और बच्चे हैं, क्योंकि मर्दों को रोक दिया गया है। हम अपने पिता, पति और आदमियों को घर छोड़ कर आए हैं। बहुत बुरा लग रहा है।" यूक्रेन के कानून में 18 से 60 साल के लोगों को अनिवार्य सैनिक सेवा के लिए भेजा जा सकता है। देश में आपातकाल है, इसलिए उनके देश के बाहर जाने पर रोक लग गई है।

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लीव से आई 30 साल की मार्ता बाउख ने कहा कि उनके पति को भी सीमा पार नहीं जाने दिया गया। उन्होंने बताया, "लीव में हालात ठीक हैं, लेकिन दूसरे शहरों में तो भारी तबाही है। कीव पर खूब गोलीबारी हुई है। कई छोटे शहरों को भी निशाना बनाया गया। मुझे लगता है कि बस कुछ ही देर की बात है। यह भी दूसरे शहरों की तरह खतरे में होगा।"

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कहां जाएंगे देश छोड़ने वाले?

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संयुक्त राष्ट्र की सहायता एजेंसियों का कहना है कि इस जंग की वजह से 50 लाख लोग देश के बाहर जाएंगे। इनमें से केवल पोलैंड में ही करीब 30 लाख लोगों के पहुंचने की आशंका है। एजेंसियों का कहना है कि यूक्रेन के कुछ हिस्सों में ईंधन, नगदी और दवाइयों की कमी हो रही है। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी का कहना है कि कम से कम एक लाख लोग अब तक अपने घर छोड़ कर जा चुके हैं।

यूरोपीय संघ के गृहमंत्री रविवार को इस संकट के नतीजों पर चर्चा करेंगे। जर्मनी ने पहले ही कह दिया है कि हिंसा के कारण देश छोड़ कर जाने वालों को संघ शरण देगा। ब्रशेल्स में यूरोपीय संघ के समकक्षों के साथ बैठक करने आईं जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने कहा है, "हमें बम और टैंकों की वजह से भाग कर आने वाले लोगों को स्वीकार करने के लिए बिना देरी के हर संभव कोशिश करने की जरूरत है।"

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सीमा अधिकारियों का कहना है कि गुरुवार को पोलैंड में यूक्रेन से 29,000 लोग आए और इनमें से आधे से ज्यादा ने जताया है कि वे जंग के कारण भाग कर आए हैं। इसी तरह रोमानिया में 10,000 और स्लोवाकिया में करीब 3,000 लोग गुरुवार को पहुंचे।

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मदद की गुहार

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उत्तरी रोमानिया की सीमा पर बहुत दुखद दृश्य है। वहां महिलाएं रोते हुए अपने पुरुष प्रियजनों को विदा दे रही हैं। यहां कारों की लंबी कतारें हैं, क्योंकि उन्हें बोट के सहारे डेन्यूब नदी पार कर इसाकिया पहुंचना है। यह शहर मोल्डोवा और काले सागर के बीच है। स्लोवाक अधिकारियों ने लोगों से रक्तदान करने का आग्रह किया है। इन लोगों ने 5,380 बिस्तरों के अस्पताल तैयार किए हैं, जो सेना या फिर नाटो के इस्तेमाल में रहेगा।

पूरे मध्य यूरोप में स्वयंसेवक सोशल मीडिया पर संदेश डाल कर आम लोगों से सीमा पार कर आने वाले लोगों के लिए जगह और ट्रांसपोर्ट में मदद करने की गुहार लगा रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता खाने-पीने की चीजें बांटने के लिए कैंप लगा रहे हैं। पोलैंड और रोमानिया ने यूरोपीय संघ के बाहर से आने वालों के लिए शुक्रवार से क्वारंटीन की शर्त खत्म कर दी है।

हंगरी ने कहा है कि वह तीसरे देश के लोगों के लिए मानवीय गलियारा खोलेगा. ईरान या भारत जाने के लिए जो लोग यूक्रेन से भाग रहे हैं, उन्हें बिना वीजा के हंगरी आने दिया जाएगा और फिर ये लोग पास के एयरपोर्ट से अपने देश के लिए विमान में जा सकते हैं.

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