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कमलनाथ ने ली मध्य प्रदेश के सीएम पद की शपथ, समारोह में राहुल गांधी के साथ दूसरे दलों को बड़े नेता हुए शामिल

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई है। कमलनाथ ने सोमवार को मध्य प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

फोटो: सोशल मीडिया 
फोटो: सोशल मीडिया  

कांग्रेस के वरिष्ठ कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। भोपाल के जम्बूरी मैदान में राज्यपाल आनंदीबेन ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। कमलनाथ के शपथग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांध और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट समेत पार्टी के सभी बड़े नेता शामिल हुए। वहीं समारोह में दूसरे दलों के नेता भी मौजूद थे। इनमें नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और लोकतांत्रिक जनता दल के अध्यक्ष शरद यादव, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, आंध प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू, डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, टीएमसी नेता दिनेश त्रिवेदी मौजूद रहे। शपथग्रहण समारोह में मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान भी शिरकत की।

Published: 17 Dec 2018, 2:39 PM IST

कमलनाथ का सफरनामा

छिंदवाड़ा से लोकसभा सांसद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ की गिनती देश के दिग्गज नेताओं में होती है। कमलनाथ ने 34 साल की उम्र में अपना पहला चुनाव जीता था। अब तक कमलनाथ 9 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 1980 में उन्होंने पहली बार छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ा था और उसमें जीत हासिल की थी, जो अब तक जारी है। उसके बाद उन्होंने 1985, 1989 और 1991 के चुनावों में लगातार जीत दर्ज की। कमलनाथ ने 1998 और 1999 के चुनाव में भी जीत दर्ज की। लगातार जीत हासिल करने से कमलनाथ का कांग्रेस में कद बढ़ता गया और 2001 में उन्हें महासचिव बनाया गया। वह 2004 तक पार्टी के महासचिव रहे और इस साल हुए चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की।

चुनावों में लगातार जीत का इनाम भी उनको मिलता रहा और 1991 से 1995 के बीच कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार में पर्यावरण मंत्री बनाया गया। उसके बाद 1995 से 1996 के दौरान उन्होंने कपड़ा मंत्रालय की कमान संभाली। उसके बाद 2004 में जीत के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार में उन्हें वाणिज्य मंत्री बनाया गया। उन्होंने यूपीए-1 की सरकार में पूरे 5 साल तक यह अहम मंत्रालय संभाला। इसके बाद 2009 में हुए चुनाव में भी उन्हें एक बार फिर छिंदवाड़ा से लोकसभा के लिए चुना गया। यूपीए-2 की मनमोहन सरकार में उन्हें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। 2012 में उन्हें संसदीय कार्यमंत्री की अहम जिम्मेदारी दी गई।

18 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे कमलनाथ की स्कूली पढ़ाई मसूरी के दून स्कूल से हुई। दून स्कूल में ही उनकी दोस्ती कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी से हुई। दून स्कूल के बाद कमलनाथ ने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक किया। उसके बाद कमलनाथ ने अपना कारोबार शुरू कर दिया। लेकिन तब तक दून स्कूल में उनकी संजय गांधी से हुई दोस्ती धीरे-धीरे पारिवारिक दोस्ती में बदल गई। फिर दोस्ती इतनी आगे बढ़ी कि कमलनाथ हमेशा संजय गांधी के साथ रहने लगे।

कांग्रेस को उस समय बड़ा झटका लगा जब संजय गांधी की असमय मौत हो गई। इंदिरा गांधी की भी उम्र हो चुकी थी और राजीव गांधी राजनीति में नहीं आना चाह रहे थे। ऐसे में कांग्रेस लगातार कमजोर होती चली गई। ऐसे में गांधी परिवार के साथ हमेशा खड़े रहने वाले और लगातार कांग्रेस के लिए मेहनत कर रहे कमलनाथ पर इंदिरा गांधी की नजर पड़ी। इसके बाद इंदिरा गांधी ने उन्हें छिंदवाड़ा सीट से टिकट देकर राजनीति में उतार दिया। उसी चुनाव के प्रचार में छिंदवाड़ा पहुंची इंदिरा गांधी ने लोगों से कहा था कि कमलनाथ मेरे तीसरे बेटे हैं, इन्हें आप लोग जिताएं।

इसके बाद फिर छिंदवाड़ा और कमलनाथ एक दूसरे का पर्याय बन गए। वे तब से लगातार इस सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं। यह इलाका कमलनाथ का गढ़ बन चुका है। छिंदवाड़ा से कमलनाथ को सिर्फ एक बार निराशा हाथ लगी है, जब 1997 में वह पूर्व सीएम सुंदर लाल पटवा से यहां से हार गए।

वहीं 1996 में इस सीट से कमलनाथ ने अपनी पत्नी अलका नाथ को चुनाव लड़ाया था, जिसमें उन्होंने भी जीत हासिल की थी। अब एक बार फिर पार्टी ने कमलनाथ की मेहनत, उनकी छवि और उनके समर्पण का उन्हें इनाम देते हुए मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया है।

Published: 17 Dec 2018, 2:39 PM IST

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Published: 17 Dec 2018, 2:39 PM IST