हालात

क्या है कांग्रेस की ‘न्याय’ यानी न्यूनतम आय योजना और क्या कहते हैं अर्थशास्त्री ! 

कांग्रेस ने सोमवार को न्यूनतम आय योजना यानी ‘न्याय’ लाने का ऐलान किया है। कांग्रेस ने कहा कि अगर उसकी सरकार बनी तो हर गरीब को एक न्यूनतम आमदनी सुनिश्चित की जाएगी। आखिर क्या है यह योजना:

फोटो : Getty Images
फोटो : Getty Images 

इस योजना का नाम क्या है?

योजना को न्यूनतम आय योजना कहा गया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस योजना का ऐलान किया। इस योजना को यह नाम कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वड्रा ने दिया है।

क्या यह योजना किसी विशेष वर्ग के लिए है?

यह योजना सभी के लिए नहीं है। इस योजना के तहत देश के उन 20 फीसदी गरीबों को शामिल किया जाएगा जो बेहद गरीब हैं। देश में ऐसे करीब 5 करोड़ परिवार हैं।

योजना से कितने लोगों को फायदा होगा?

देश में आम परिवार का औसत आकार पांच सदस्यी माना जाए तो इससे करीब 25 करोड़ लोगों को फायदा होगा।

इस योजना के तहत गरीबों को कितना पैसा मिलेगा?

योजना के तहत हर परिवार को 72,000 रुपए सालाना दिए जाएंगे, यानी 6000 रुपए महीना। इसमें यह माना जाएगा कि वे लगभग इतना ही पैसा अपने संसाधनों या मेहनत से कमाते हैं। इस तरह उस परिवार की आमदनी 12,000 रुपए महीना हो जाएगी। मसलन अगर कोई परिवार 10,000 रुपए महीना कमाता है तो उसे सरकार 2000 रुपए महीना देगी। इसीलिए इस योजना को प्रगतिशील योजना कहा जा रहा है। योजना के तहत गरीब परिवार की आमदनी की सीमा 12,000 रुपए महीना तय की गई है।

इस योजना का फायदा लेने की क्या कोई शर्त है?

नहीं, इस योजना का पैसा सीधे लाभ हस्तांतरण के तहत किया जाएगा।

लाभार्थी को कैसे मिलेगा पैसा?

लाभार्थी परिवार के खाते में यह पैसा सीधे ट्रांसफर किया जाएगा।

योजना से देश पर कितना आर्थिक बोझ पड़ेगा?

इस योजना के लागू होने से देश पर करीब 3,60,000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा जोकि देश की जीडीपी का करीब 1.8 फीसदी होगा।

इस योजना से देश के नागरिकों को क्या फायदा होगा?

इस योजना से एक तरफ तो ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों के उन गरीबों के पास पैसा आएगा जो नोटबंदी जैसे घातक कदम से बुरी तरह प्रभावित हुए थे। पैसा हाथ में होगा तो लोग उसे खर्च करेंगे, इससे आर्थिक वृद्धि पर अच्छा प्रभाव होगा, खासतौर से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अच्छा असर पड़ेगा। अर्थव्यवस्था बढ़ने से नौकरियां और रोज़गार पैदा होंगे, जिसके कारण ढांचागत क्षेत्र में गति आएगी।

देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति में क्या ऐसी योजना लाना तर्कसंगत है?

इस मुद्दे पर अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार का कहना है कि, “यह एक स्वागत योग्य ऐलान है। अगर कोई राजनीतिक दल इसे सचमुच लागू करना चाहता है तो इसका स्वागत होना चाहिए। ऐसा बहुत पहले कर देना चाहिए था। इस योजना से जीडीपी का 1.8 फीसदी खर्च होगा, जोकि संपत्ति पर कर लगाकर, संपत्ति शुल्क लगाकर, गिफ्ट टैक्स लगाकर, कार्पोरेट प्रॉफिट पर सेस लगाकर और 50 लाख से ऊपर कमाने वाले धनी लोगों पर अतिरिक्त कर लगाकर वसूला जा सकता है। लेकिन, इसके लिए मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति चाहिए। इसे लागू करने में राहुल गांधी पर दबाव हो सकता है और उच्च वर्ग इसमें बदलाव की मांग उठा सकता है। इसके अलावा मेरा मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में अधिक निवेश और ग्रामीण इलाकों में अतिरक्त संसाधन मुहैया कराने की जरूरत है।”

वहीं, कृषि अर्थशास्त्री देवेंद्र शर्मा ने लिखा है कि, “आजतक किसी ने यह सवाल नहीं उठाया कि आखिर देश के कार्पोरेट को 2009 से लेकर अब तक क्यों हर साल 1.86 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज (एक तरह की डायरेक्ट इनकम सपोर्ट) की जरूरत पड़ती है। इस योजना से ही देश के दोगुने गरीबों को 72,000 रुपए सालाना की मदद दी जा सकती है।”

कुछ दिन पहले नेशनल हेरल्ड से बातचीत में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी कहा था कि, “अगर जीडीपी और टैक्स का औसत सिर्फ दो फीसदी बढ़ जाए तो ऐसी योजना के लिए पैसा हासिल किया जा सकता है।”

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined