पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एनआरसी जागरूकता कार्यक्रम में बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदू शरणार्थियों को बंगाल नहीं छोड़ना पड़ेगा। ऐसे में सवाल यह है कि क्या हिंदू शरणआर्थियों को छोड़कर बाकियों को बंगाल छोड़ना पड़ेगा?
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दरअसल अमित शाह ने कोलकाता में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 पर सेमिनार को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “एनआरसी पर बंगाल की जनता को गुमराह किया गया। मैं बंगाल की जनता को सचाई बताने आया हूं। सभी हिंदू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। मोदी सरकार जल्द ही सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल लाने वाली है। इसके बाद मेरे जितना ही अधिकार हर शरणार्थी को मिल पाएगा। एक भी घुसपैठिए को देश में रहने नहीं देंगे। एक-एक शरणार्थी को प्रधानमंत्री बनने का अधिकार बीजेपी सरकार देने वाली है।”
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उन्होंने आगे कहा, “जब ममता दी विपक्ष में थीं, तब इन घुसपैठियों को हटाने के लिए कहा, उसने इसी मुद्दे पर राज्य विधानसभा अध्यक्ष के चेहरे पर अपना शॉल फेंक दिया था। अब जबकि वे उसके वोट बैंक बन गए हैं, वह नहीं चाहती कि उन्हें हटाया जाए।”
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उन्होंने आगे कहा, “मैं 4 अगस्त, 2005 को ममता दी के अपने भाषण की याद दिलाना चाहता हूं जिसमें उन्होंने घुसपैठियों को हटाने की बात स्पष्ट रूप से कही थी। राजनीतिक प्राथमिकताओं को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं पर हावी नहीं होना चाहिए।” अमित शाह ने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल और धारा 370 के बीच एक विशेष संबंध है, क्योंकि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक निशान, एक विधान, एक प्रधान का नारा बुलंद किया था।
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बता दें कि अमित शाह का भाषण ऐसे में समय में हुआ है जब पश्चिम बंगाल में एनआरसी को लेकर लोगों के बीच भय का माहौल बना हुआ है। लोगों में डर का आलाम यह है कि 11 लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों लोग शहर और राज्य के अन्य हिस्सों में अपने जन्म प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज लेने के लिए सरकारी और नगर निकाय के दफ्तरों के बाहर लाइनें लगा कर खड़े हैं, ताकि अगर राज्य में एनआरसी को लागू किया जाए तो उनकी तैयारी पूरी रहे।
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