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लद्दाख हिंसा: सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, 19 दिन से जोधपुर जेल में हैं बंद

वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने 2 अक्टूबर को आर्टिकल 32 के तहत अदालत में हेबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने अपने पति की एनएसए के तहत गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।

वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने 2 अक्टूबर को आर्टिकल 32 के तहत अदालत में हेबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दाखिल की थी। याचिका में उन्होंने अपने पति की एनएसए के तहत गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।

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लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 अक्टूबर को केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन को नोटिस जारी किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख प्रशासन को सोनम वांगचुक की कथित रूप से गैर-कानूनी हिरासत के खिलाफ दाखिल याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। अदालत ने आदेश दिया कि हिरासत से संबंधित दस्तावेज और आदेश की कॉपी याचिकाकर्ता यानी वांगचुक की पत्नी को मुहैया कराई जाए।

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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सोनम वांगचुक को जेल में उचित चिकित्सा सुविधा दी जाए।

वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने अपनी याचिका में कहा था कि सोनम वांगचुक को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है और उन्हें किसी वैधानिक प्रक्रिया के तहत गिरफ्तार नहीं किया गया। उन्होंने अपील की कि सुप्रीम कोर्ट तुरंत हस्तक्षेप करते हुए सोनम वांगचुक को अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश दे, ताकि उनकी सुरक्षा और कानूनी अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें।

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इससे पहले, गीतांजलि अंगमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक भावुक पत्र लिखा था। उन्होंने पत्र में लिखा, "मेरे पति को पिछले 4 साल से लोगों के हितों के लिए काम करने की वजह से बदनाम किया जा रहा है। वह कभी भी किसी के लिए खतरा नहीं बन सकते।"

सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लेह में हिंसक विरोध प्रदर्शन भड़काने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। इस हिंसा में चार लोगों की जान चली गई थी। यह हिंसा लेह में लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई। करीब 90 लोग हिंसा के दौरान घायल हुए थे।

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