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लखीमपुर खीरीः आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से मांगा जवाब, 2 हफ्ते का दिया समय

पिछले साल आशीष मिश्रा की कार से कुचले गए किसानों के परिजनों ने उसकी जमानत को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। दरअसल 3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी में किसानों के प्रदर्शन से नाराज मिश्रा ने कथित तौर पर अपनी गाड़ी से चार किसानों को रौंद दिया था

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य आरोपी और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने आशीष की जमानत पर प्रदेश की योगी सरकार को दो हफ्ते जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर को तय कर दी है।

जस्टिस बी.आर. गवई और बी.वी. नागरत्ना ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई सात नवंबर को करेंगे। आशीष मिश्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में पहले ही नोटिस जारी किया जा चुका है। वहीं इस मामले में 26 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।

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उससे पहले 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा को दी गई जमानत को रद्द कर दिया था और उन्हें एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था। चीफ जस्टिस एन.वी. रमना (अब सेवानिवृत्त) और जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हेमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा था कि वह नए सिरे से जांच करे कि मिश्रा को जमानत दी जानी चाहिए या नहीं।

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शीर्ष अदालत ने कहा था कि अपराध की प्रकृति और गंभीरता, दोष साबित की स्थिति में सजा की गंभीरता, आरोपी या पीड़ितों के लिए परिस्थितियां, आरोपी के भागने की संभावना, सबूतों और गवाहों के साथ छेड़छाड़ की संभावना जैसे पहलुओं को देखने के बजाय हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों के बारे में एक अदूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाया। कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट ने 10 फरवरी के आदेश को पारित करने, मिश्रा को जमानत देने, पीड़ितों की निष्पक्ष और प्रभावी सुनवाई से इनकार करने में जल्दबाजी दिखाई।

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लखीमपुर खीरी हिंसा में आशीष मिश्रा को पिछले साल 9 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। 3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई झड़पों में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। लखीमपुर खीरी में मिश्रा की कार से कुचले गए किसानों के परिवार के सदस्यों ने उन्हें मिली जमानत को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।

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