लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत कल यानी 19 अप्रैल को 21 राज्यों की 102 सीटों पर मतदान होगा। इनमें पश्चिम बंगाल की तीन सीटें, जलपाईगुड़ी कूचबिहार और अलीपुरद्वार भी शामिल हैं। इन तीनों सीटों पर बीजेपी और टीएमसी के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इन तीनों सीटों पर जीत हासिल की थी। पार्टी ने इस बार भी तीनों सीटों पर जोर लगा रखा है। वहीं, टीएमसी की यह कोशिश कि पिछले चुनाव में खोई हुई तीनों सीटों को वापस लाई जाए। बंगाल की इन तीन सीटों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी के नेताओं ने खूब पसीना बहाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो बार और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कई बार सभाएं हुईं।
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पश्चिम बंगाल की यह तीनों सीटें चाय बागान क्षेत्र की हैं। चाय बागानों में चुनावी एजेंडा मजूदरों का हित है। एक तरफ बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान उज्जवला योजना और राशन को औजार बनाकर प्रचार किया तो वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने चा-सुंदरी, लक्खी भंडार, कन्याश्री या रूपश्री जैसी योजनाओं को लेकर चाय बागान के मजदूरों के बीच पहुंची और अपनी बातों रखा।
अलीपुरद्वार, कूचबिहार, जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग लोकसभा सीटों पर चाय श्रमिकों का वोट काफी मायने रखता है। चाय बागान के कभी चौकीदार रहे टीएमसी के बुलु चिक बड़ाइक अब ममता सरकार में मंत्री हैं। उन्होंने इन सीटों पर इस बार जमकर प्रचार किया अपनी सरकार की योजनाओं को मजदूरों के बीच रखा।
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अलीपुरद्वार सीट से बीजेपी और टीएमसी दोनों के उम्मीवार चाय बागान श्रमिक यूनियन से जुड़े हैं। बीजेपी प्रत्याशी मनोज तिग्गा सिंघानिया चाय बागान के निवासी हैं, जबकि टीएमसी उम्मीदवार प्रकाश चिक बड़ाइक तृणमूल चाय बागान श्रमिक यूनियन के केंद्रीय नेता हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में दीदी ने जिस तरह का दांव चलकर बीजेपी को चारों खाने चित्त कर दिया था, अगर वैसा ही दांव इस बार भी चलती हैं तो इस चुनाव में बीजेपी के लिए बंगाल की राह मुश्किल हो जाएगी। हालांकि बीजेपी भी दीदी के दांव को अपनी चाल से मात देने में जुटी हुई।
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