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दम तोड़ रहा है योगी सरकार का लव-जिहाद कानून, कोर्ट में एक के बाद एक मामलों में हो रही पुलिस की फजीहत

उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा है कि उसका नया धर्मातरण रोधी कानून किसी धर्म विशेष को निशाना बनाने के लिए नहीं है। हालांकि, आरोपी बनाए गए 86 लोगों में 79 एक ही धर्म विशेष से आते हैं, जो सरकार की नीयत पर सवल खड़े करता है।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
फोटोः आस मोहम्मद कैफ 

उत्तर प्रदेश सरकार के नए लव-जिहाद कानून के नाम पर हुए उत्पीड़न की कहानियां अब जांच में दम तोड़ रही हैं। इस कानून पर धर्म विशेष के लोगों को टारगेट करके उत्पीड़न करने का इल्जाम भी है। इस कानून के तहत अब तक कुल दर्ज हुई 16 एफआईआर में 86 लोगों को आरोपी बनाया जा चुका है। मगर एक के बाद एक कई मामलों में अदालत में पुलिस को फजीहत झेलनी पड़ रही है। मुरादाबाद, बरेली, बिजनोर और अब मुजफ्फरनगर के मामले में अदालत के फैसलों ने इस कानून के पैरोकारों को करारा झटका दिया है।

इन फैसलों के बाद के बाद से लव जिहाद के दर्ज हो रहे मामलों में भी गिरावट आई है। इस सबके बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा है कि उसका नया धर्मातरण कानून धर्म विशेष को निशाना बनाने के लिए नहीं है। हालांकि, आरोपी बनाए गए 86 लोगों में 79 एक ही धर्म विशेष से आते हैं। जिन चार मामलों में अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को आईना दिखाया है, उन सभी में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को झूठा बताया गया है।

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पहला मामला मुरादाबाद का है, जहां अदालत के आदेश पर ‘राशिद’ को ही 'पिंकी' मिल गई है। बता दें कि मुरादाबाद की जिस लड़की की बजरंग दल कार्यकर्ताओं द्वारा जबरन गर्भपात कराने की बात की जा रही थी, उसे अदालत के आदेश पर उसके पति राशिद को सौंप दिया गया है। पुलिस ने पिंकी का अदालत में बयान होने के बाद राशिद और उसके भाई को भी जेल से रिहा कर दिया था। पिंकी अब अपनी ससुराल में है।

इस मामले में बिजनौर की रहने वाली लड़की की मां बाला देवी ने मुरादाबाद जिले के कांठ थाने में 5 दिसंबर को नए कानून के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने दो लोगों पर अपनी बेटी का शादी की नीयत से धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगाया था। इसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था और युवती को मुरादाबाद के नारी निकेतन पहुंचा दिया था। लेकिन केस में उस वक्त एक नया मोड़ आ गया, जब पुलिस ने अदालत के आदेश के बाद लड़की को उसके ससुराल में रहने की इजाजत दे दी। प्रशासन द्वारा 22 वर्षीय महिला को पहले आश्रय गृह भेजा गया था। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर उसका जबरन गर्भपात कराने का आरोप लगा था।

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पिंकी बिजनौर के गांव गंज की रहने वाली थी। उसने 6 महीने पहले 24 जुलाई को मुरादाबाद के कांठ तहसील निवासी राशिद से उत्तराखंड के देहरादून में लव मैरिज की थी। 5 दिसंबर को पिंकी मुरादाबाद में मजिस्ट्रेट के यहां अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन कराने आई थी। इसी दौरान रास्ते में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उन्हें पकड़ लिया और झूठे आरोप लगाते हुए पिंकी को उसके पति राशिद समेत कांठ पुलिस को सौंप दिया।

पिंकी ने आरोप लगाया था कि बजरंग दल के दबाव के चलते पुलिस ने उसकी मां से तहरीर लेकर मुकदमा दर्ज कर लिया। पिंकी ने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान में बताया कि वह बालिग है और उसकी उम्र 22 साल है और उसने अपनी मर्जी से जुलाई महीने में देहरादून में निकाह किया था और अब वह नारी निकेतन में रहने के बजाए अपने पति के परिवार के साथ रहना चाहती है। पिंकी ने अदालत को बताया था कि उसने अपना धर्म परिवर्तन करवा लिया है और अब वह राशिद के परिवार के साथ ही अपना आगे का जीवन बिताना चाहती है।

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इसके बाद बरेली के फरीदपुर तहसील के रहने वाले अबरार के खिलाफ दर्ज हुआ लव जिहाद का मुकदमा भी जांच में झूठा निकला है। यहां के फरीदपुर में नर्सिंग की एक छात्रा ने आरोप लगाए थे कि अबरार ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर उसे तमंचे के बल पर रोका और धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाया। आरोपी कई महीने से छात्रा का पीछा कर रहा था। इतना ही नहीं जब उसने अपने धर्म के लड़के से शादी कर ली तो आरोपी ने उसकी ससुराल जाकर शादी तुड़वाने की भी कोशिश की। आरोप यह भी था कि जब छात्रा ने इनकार किया तो आरोपियों ने उसके पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी, जिससे छात्रा काफी दहशत में आ गई।

इस पूरे मामले की शिकायत छात्रा की ओर से फरीदपुर थाने में की गई थी और पुलिस ने तहरीर के आधार पर लव जिहाद का मुकदमा दर्ज कर लिया था। छात्रा की तहरीर पर पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई तेज कर दी थी। लेकिन जांच के बाद बरेली एसएसपी रोहित सजवाण ने बताया कि छात्रा ने जिस दिन की घटना बताई थी, उस दिन आरोपी अबरार मौके पर ही मौजूद नहीं था। बल्कि घटना से कई किलोमीटर दूर बरेली में था। फरीदपुर पुलिस के अनुसार उसकी लोकेशन और प्राथमिक पड़ताल के साथ-साथ गवाहों के बयानों के आधार पर मुकदमे को खत्म किया जा रहा है। झूठे आरोप लगाने के कारण शिकायतकर्ता के खिलाफ धारा 182 के तहत कार्रवाई की जाएगी । पुलिस के अनुसार वो तीनों आरोपी युवकों को क्लीन चिट दे रही है।

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इसी तरह मुजफ्फरनगर का लव जिहाद का मामला भी झूठा पाया गया है। सरकार ने खुद अदालत में कहा कि उसके पास इस मामले में लव जिहाद के कोई सबूत नहीं हैं। दरअसल मुजफ्फरनगर निवासी मजदूर ठेकेदार अक्षय कुमार त्यागी ने 29 नवंबर 2020 को हरिद्वार निवासी एक मुस्लिम युवक नदीम के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसमें आरोप था कि नदीम उसकी पत्नी को अपने जाल में फंसाकर उसका धर्म परिवर्तन करना चाहता है। अक्षय ने कहा था कि नदीम उसका सहयोगी है और साथ में काम करता है। वह मुजफ्फरनगर में उसके घर आया करता था, जहां उसने उसकी पत्नी को प्रेम में फंसा लिया। अब नदीम उसकी पत्नी पर शादी के बहाने धर्म परिवर्तन करने का दबाव डाल रहा था।

इसके बाद नए विवादित कानून के तहत नदीम और सलमान के खिलाफ मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। मुजफ्फरनगर पुलिस ने नए अध्यादेश लव जिहाद कानून की धारा 3 व 5 के अलावा आईपीसी की धाराओं के तहत धमकी देने और आपराधिक षडयंत्र का मुकदमा भी दर्ज किया था। इसके जवाब में नदीम ने पिछले महीने एफआईआर रद्द कराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए आरोपी नदीम की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने उसके खिलाफ किसी तरह के उत्‍पीड़न की कार्रवाई भी नहीं करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जांच पड़ताल कर जवाब देने को कहा है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट में गुरुवार को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की तरफ से जॉइंट डायरेक्टर अवधेश पांडे ने इस मामले में हलफनामा दाखिल किया। इसमें कहा गया है कि जांच अधिकारी को ऐसा कोई भी सबूत नहीं मिला, जिससे इन दोनों आरोपियों के खिलाफ लव जिहाद कानून के तहत मामला दर्ज किया जा सके।

इस सबके बीच बिजनौर में संगीता से शाइस्ता बनी युवती को अब उसके परिजन परेशान नहीं कर सकेंगे। बिजनोर में संगीता से शाइस्ता बनी एक युवती के जीवनसाथी चुनने के अधिकार के तहत उच्च न्यायालय ने एक बेहद महत्वपूर्ण फैसला दिया है। इस फैसले के तहत संगीता को उसके मुस्लिम पति की ओर से 3 लाख रुपये की आर्थिक सुरक्षा देने का आदेश दिया गया है। संगीता अब शाइस्ता बन चुकी है। अदालत ने कहा कि मेहर की रकम कम है, इसलिए वो ऐसा कर रहे हैं। संगीता के परिजन लगातार उसके पति और सुसराल वालों के खिलाफ पुलिस में धर्मातरण की शिकायत कर रहे थे। जिसके बाद वो खुद अदालत में गई थी। इसके अलावा न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि दोनों बालिग हैं और युवती के परिजनों को अब इनकी जिंदगी में कोई दखल नहीं देना चाहिए।

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उत्तर प्रदेश सरकार के कथित लव-जिहाद के खिलाफ नए धर्मांतरण कानून से जुड़ी इन घटनाओं को लेकर उत्तर प्रदेश महिला कांग्रेस की उपाध्यक्ष उरूशा राणा कहती हैं कि इस मामले में वही हो रहा है जिसकी आशंका पहले से ही थी। यह कानून साफ नीयत के साथ लागू ही नहीं किया गया है। राणा ने कहा कि “उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री मोहब्बत को पिंजरे में कैद करना चाहते हैं। वो लव-जिहाद के नाम पर गलतफहमी को बढ़ा रहे हैं। उनका मकसद समाज का बंटवारा है। वो दिलो में भेद डालना चाहते हैं। अब यही हो रहा है और कानून की कमजोर गांठें उधड़ रही हैं।”

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