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मध्य प्रदेशः शिवराज के पोषण आहार घोटाले ने दिलाई बुंदेलखंड पैकेज की याद, रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

कांग्रेस ने कहा कि एमपीएजी की रिपोर्ट प्रथमदृष्टया घपले की सच्चाई बताती है। जो भ्रष्टाचार दिख रहा है, वह बहुत कम है। गहराई से जांच होने पर शिवराज सरकार का अब तक का सबसे बड़ा घपला सामने आएगा। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई या न्यायिक जांच होनी चाहिए।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार में हुए पोषण आहार घोटाले ने लगभग एक दशक पहले हुए बुंदेलखंड पैकेज घोटाले की याद दिला दी है। सीएजी की चौंकाने वाली रिपोर्ट के अनुसार जिस तरह बुंदेलखंड पैकेज घोटाले में कई टन पत्थर ढोने वाले वाहनों के नंबर स्कूटी और स्कूटर के निकले थे, ठीक ऐसा ही कुछ पोषण आहार मामले में भी हुआ है।

साल 2007-08 में बुंदेलखंड के विकास के लिए लगभग साढ़े सात हजार करोड़ का विशेष पैकेज मंजूर किया गया था, इसमें से आधी राशि मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के हिस्से में आई थी। यह पैकेज मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के छह जिलों के लिए था, जिनकी संख्या अब सात हो गई है। पैकेज से इन जिलों छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, सागर, दमोह, निवाड़ी और दतिया पर लगे सूखा के दाग को मिटाकर बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने की कोशिश शुरू हुई थी।

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लेकिन मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के हिस्से में आई राशि लगभग खत्म हो चुकी है, मगर हालात नहीं बदले हैं। बुंदेलखंड में हुए विकास कार्यों की जांच की गई तो एक बात सामने आई कि लाखों टन पत्थर मोटरसाइकिल, स्कूटी और स्कूटर से ढोए गए थे। एक मामला तो रोचक था, जब एक ट्रक से पांच टन पत्थर ले जाए जाने का सरकारी दस्तावेजों में जिक्र था, जब हकीकत जानी गई तो वह नंबर स्कूटर का निकला। इतना ही नहीं टैंकर, ट्रैक्टर के नंबरों की जांच हुई तो वह स्कूटर, स्कूटी और मोटरसाइकिल के निकले थे।

अब पोषण आहार मामले को लेकर महालेखाकार की जो रिपोर्ट सामने आई है वह ठीक बुंदेलखंड पैकेज में हुई गड़बड़ियों की तरह ही है। कुल मिलाकर दोनों ही मामलों में गफलत एक ही तरह से हुई है, जिन वाहनों को ट्रक बताया गया वे छोटे वाहनों जैसे बाइक और ऑटो के नंबर निकले हैं। पोषण आहार को लेकर महालेखाकार की रिपोर्ट साफ बताती है कि 34 ऐसे नंबर पाए गए हैं जो कागजों में तो ट्रक के दर्ज हैं मगर वे छोटे वाहनों के हैं।

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पोषण आहार मामले को लेकर महालेखाकार की रिपोर्ट पर कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने हैं, कांग्रेस जहां बीजेपी की सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरने में लगी है, क्योंकि यह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही है, वहीं बीजेपी इसे अंतिम रिपोर्ट मानने को ही तैयार नहीं है, बल्कि उल्टा कांग्रेस के काल का घोटाला बताकर अपना पल्ला छुड़ाने की कोशिश कर रही है।

विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि एमपीएजी की रिपोर्ट प्रथम दृष्टया घपले की वास्तविकता दर्शाती है। इसमें जो भ्रष्टाचार दिख रहा है, वह तो बहुत कम है। सूक्ष्मता से जांच होने पर शिवराज सरकार का अब तक का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ जाएगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई या न्यायिक जांच कराने की मांग की है ताकि प्रदेश की जनता के सामने दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।

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वहीं मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा कि ये सीएजी की अंतिम रिपोर्ट नहीं है। यह प्रारंभिक रिपोर्ट है, जिस पर अभी विभाग को अपना पक्ष प्रस्तुत करना है। कांग्रेस ने पोषण आहार संयंत्रों को महिला स्व-सहायता समूहों से वापस लेने की कार्रवाई की थी। कांग्रेस शासनकाल में निम्न स्तर का पोषण देने पर 35 करोड़ रुपये की राशि रोकी गई। आम आदमी पार्टी के आरोपों पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया की आम आदमी पार्टी ने तो चार वर्ष से सीएजी की रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा में प्रस्तुत ही नहीं की। कहीं आपके घोटाले सामने न आ जाएं।

वहीं एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बुंदेलखंड पैकेज और पोषण आहार के परिवहन में ट्रक की जगह बाइक और छोटे वाहनों के नंबर की बात सामने आने पर चुटकी लेते हुए कहा कि इस बात को भी पता किया जाना चाहिए कि क्या बुंदेलखंड पैकेज में गड़बड़ी करने वाले अधिकारी या परिवहन करने वाले पोषण आहार से भी तो नहीं जुड़े हैं, क्योंकि देानों में तरीका एक ही तरह का है।

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