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महाराष्ट्रः मुख्यमंत्री पद को लेकर संशय के बीच महायुति में तकरार, घटक के नेताओं में जुबानी जंग तेज

महाराष्ट्र चुनाव में महायुति की भारी जीत के एक हफ्ते बाद भी सरकार गठन और मुख्यमंत्री पद को लेकर संशय के बीच रविवार को गठबंधन के नेताओं में जुबानी जंग चरम पर पहुंच गई। जैसे-जैसे सरकार गठन में देरी हो रही है, महायुति में असहमति के स्वर तेज होते जा रहे हैं।

महाराष्ट्रः मुख्यमंत्री पद को लेकर संशय के बीच महायुति में तकरार, घटक के नेताओं में जुबानी जंग तेज
महाराष्ट्रः मुख्यमंत्री पद को लेकर संशय के बीच महायुति में तकरार, घटक के नेताओं में जुबानी जंग तेज फोटोः सोशल मीडिया

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की भारी जीत के एक हफ्ते बाद भी सरकार गठन और मुख्यमंत्री पद को लेकर असमंजस के बीच रविवार को गठबंधन के नेताओं में जुबानी जंग अपने चरम पर पहुंच गई। जैसे-जैसे सरकार गठन में देरी हो रही है, महायुति में असहमति के स्वर तेज होते जा रहे हैं।

महायुति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) शामिल है। इस गठबंधन ने राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से 230 सीटें जीतीं। भाजपा ने सबसे ज्यादा 132 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि शिवसेना को 57 और राकांपा को 41 सीटें मिलीं।

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शिवसेना विधायक गुलाबराव पाटिल ने रविवार को कहा कि अगर अजित पवार की राकांपा महायुति का हिस्सा नहीं होती, तो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी 20 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में 90-100 सीटें जीत सकती थी। अजित पवार पिछले साल जुलाई में शिंदे सरकार में शामिल हुए थे और उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया था।

निवर्तमान सरकार में मंत्री पाटिल ने एक क्षेत्रीय समाचार चैनल से कहा, ‘‘हमने केवल 85 सीटों पर चुनाव लड़ा था। अजित दादा के बिना हम 90-100 सीटें जीत सकते थे। शिंदे ने कभी नहीं पूछा कि अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा को उनकी सरकार में क्यों शामिल किया गया।’’

उन्होंने शिंदे की भी प्रशंसा की और कहा कि शिंदे एक बड़े दिल वाले व्यक्ति हैं, जो नाराज होने के बजाय मुकाबले में विश्वास करते हैं। पलटवार करते हुए राकांपा प्रवक्ता अमोल मिटकरी ने पाटिल से कहा कि वह इस तरह की हल्की बात न बोलें। मिटकरी ने कहा, ‘‘पाटिल को पहले मंत्रिमंडल में शामिल होने के बारे में सोचना चाहिए। इस बार उनके मंत्री बनने की संभावना बहुत कम है।’’

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महायुति के भीतर एक और जुबानी तकरार में, शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने केंद्रीय मंत्री प्रतापराव जाधव और भाजपा नेता संजय कुटे पर निशाना साधा। गायकवाड़ ने 20 नवंबर को हुए चुनाव में बुलढाणा में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) उम्मीदवार जयश्री शेलके के खिलाफ मात्र 841 मतों के मामूली अंतर से जीत हासिल की थी।

गायकवाड़ ने दावा किया, ‘‘जाधव ने शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे के एक करीबी सहयोगी को फोन किया और उनसे शेलके को मेरे खिलाफ मैदान में उतारने के लिए कहा। कुटे ने भी शिवसेना (उबाठा) नेता अनिल परब को फोन करके यही अनुरोध किया। मेरी पार्टी या गठबंधन का एक भी जिला स्तरीय नेता मेरे साथ नहीं था।’’

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उन्होंने सवाल किया, ‘‘कुटे ने आधी रात को शेलके से मुलाकात क्यों की? सहयोगी दलों के नेता इस तरह से क्यों पेश आते हैं।’’ जाधव बुलढाणा से सांसद हैं और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में आयुष के साथ-साथ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री हैं। कुटे ने जलगांव (जामोद) विधानसभा सीट से चुनाव जीता था।

इस बीच, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने कहा कि यदि भाजपा और अविभाजित शिवसेना ने सहयोगी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा होता, तो महायुति को मिली जीत से कहीं अधिक बड़ी जीत होती। मुंबई में भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद दानवे ने कहा, ‘‘शिवसेना संजय राउत की वजह से टूटी। आप छह महीने इंतजार करें। वह उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे के बीच भी दरार पैदा करेंगे।’’ दानवे ने कहा, ‘‘अगर शिवसेना नहीं टूटी होती और उसने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा होता, तो हमारी जीत अब तक मिली जीत से बड़ी होती। 2019 में भी हमने विधानसभा चुनाव आराम से जीते थे।’’

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति को भारी जीत मिलने के एक सप्ताह से अधिक समय बाद भी नयी सरकार का गठन नहीं हुआ है। भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने शनिवार को कहा कि नयी महायुति सरकार का शपथ ग्रहण समारोह पांच दिसंबर की शाम दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसमें शामिल होंगे।नयी सरकार में शिंदे की भूमिका को लेकर भी कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, जबकि उनके कुछ सहयोगियों ने खुले तौर पर कहा है कि शिवसेना को महत्वपूर्ण गृह विभाग दिया जाना चाहिए।

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