महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने मंगलवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर चुनावी धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा कि नागपुर दक्षिण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में महज पांच महीनों में मतदाताओं की संख्या में आठ प्रतिशत की वृद्धि चुनाव में धांधली को दर्शाती है।
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष सपकाल ने आरोप लगाया कि प्रतिदिन ऐसे प्रमाण सामने आ रहे हैं, जो दर्शाते हैं कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाला महायुति गठबंधन 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वोटों में हेराफेरी कर सत्ता में आया। इससे पहले दिन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ‘एक्स’ पर पोस्ट कर राज्य विधानसभा चुनावों में व्यापक गड़बड़ियों का आरोप लगाया था।
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उन्होंने कहा कि ये गड़बड़ियां नहीं, बल्कि ‘‘वोट चोरी’’ है। राहुल गांधी ने एक मीडिया रिपोर्ट साझा करते हुए दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच फडणवीस के निर्वाचन क्षेत्र नागपुर दक्षिण पश्चिम में 29,219 नए मतदाता जुड़े।
सपकाल ने कहा, “राहुल गांधी लगातार चुनावी धोखाधड़ी का मुद्दा उठा रहे हैं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के कामठी निर्वाचन क्षेत्र में अनियमितताएं उजागर होने के बाद अब यह सामने आया है कि मुख्यमंत्री फडणवीस के क्षेत्र में भी मतदाता संख्या में महज पांच महीनों में आठ प्रतिशत की वृद्धि हुई है।” उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से वोटों में गड़बड़ी का मामला है और फडणवीस को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए।
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कांग्रेस नेता ने अपने बयान में राहुल गांधी के दावे को दोहराते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र के कुछ मतदान केंद्रों पर 20 से 50 प्रतिशत तक की मतदाता वृद्धि देखी गई और कई बूथ स्तर अधिकारियों ने यह रिपोर्ट दी है कि अज्ञात लोगों ने वोट डाले। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इस मामले में डिजिटल वोटर लिस्ट और मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज तुरंत सार्वजनिक करने की मांग की है।
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सपकाल ने आरोप लगाया, “मुख्य सवाल यह है कि लोकसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद भाजपा गठबंधन महज पांच महीने में विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत कैसे हासिल कर सका? इस अवधि में बीजेपी ने चुनाव आयोग की मदद से मतदाता सूची में हेरफेर की और वोटिंग प्रतिशत बढ़ाया। शाम पांच बजे के बाद और अगले दिन घोषित आंकड़ों में आठ प्रतिशत का अंतर रहा।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग इस विसंगति पर संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दे सका और इसके विपरीत सूचना तक पहुंच को सीमित करने वाले नियम लागू किए तथा 45 दिनों के बाद सीसीटीवी फुटेज हटाने का निर्णय भी लिया।
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