राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के विधायक रोहित पवार ने हाल में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतपत्रों और ईवीएम के जरिए की गई मतगणना में गड़बड़ी होने का आरोप लगाया है। रोहित ने बुधवार को मांग की कि निर्वाचन आयोग विपक्ष को निजी विशेषज्ञों द्वारा जांच के लिए किसी भी ईवीएम का निरीक्षण करने की अनुमति दे। उन्होंने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने हुए कहा कि एनसीपी (एसपी) के कार्यकर्ताओं ने विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल की गई ईवीएम पर संदेह जताया है और यह संदेह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। एनसीपी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार के पोते रोहित पवार कर्जत-जामखेड विधानसभा सीट को 1,200 मतों के मामूली अंतर से बरकरार रखने में कामयाब रहे।
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महाराष्ट्र में 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में महायुति गठबंधन ने 230 सीट जीतकर सत्ता बरकरार रखी। महायुति गठबंधन में भाजपा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) शामिल हैं। विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) गठबंधन सिर्फ 46 सीट ही जीत सका जिसमें कांग्रेस, राकांपा (एसपी) और शिवसेना (उबाठा) शामिल हैं। भाजपा को 132 सीट मिलीं, शिवसेना को 57 तथा राकांपा को 41 सीट मिलीं। एमवीए में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के उम्मीदवारों ने 10 सीट जीतीं, कांग्रेस ने 16 सीट जीतीं, जबकि शिवसेना (उबाठा) ने 20 सीट पर जीत दर्ज की।
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रोहित पवार ने कहा, ‘‘हमें 124 से 130 सीट आसानी से मिलने की उम्मीद थी। हमारे उम्मीदवारों ने जोरदार प्रचार किया। महिलाओं की सुरक्षा, कृषि संकट और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर पूरा माहौल सत्तारूढ़ महायुति के खिलाफ था।’’ उन्होंने दावा किया कि महायुति को मिला भारी जनादेश मतदाताओं सहित विभिन्न हितधारकों के लिए समझ से परे है। रोहित पवार के अनुसार लगभग छह करोड़ वोट ईवीएम के माध्यम से और 5.5 लाख वोट डाक मतपत्रों के माध्यम से गिने गए।
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उन्होंने दावा करते हुए कहा, ‘‘जब डाक मतपत्रों की गिनती की गई तो महायुति और एमवीए का वोट शेयर क्रमशः 43.3 प्रतिशत और 43.1 प्रतिशत था। हालांकि, ईवीएम के मतों की गिनती के बाद महायुति का वोट शेयर 49.5 प्रतिशत हो गया, जबकि एमवीए का वोट शेयर घटकर 35 प्रतिशत रह गया।’’ रोहित पवार ने कहा कि आमतौर पर मतपत्रों और ईवीएम के जरिए मतगणना में अंतर तीन से चार प्रतिशत से अधिक नहीं होता। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को इन विसंगतियों के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए।
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