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नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों से ममता बनर्जी ने की मुलाकात, बोलीं- जब तक जिंदा हूं, नहीं छीनने दूंगी नौकरी

ममता ने कहा कि मैं जो कह रही हूं, उसके लिए मुझे जेल में डाला जा सकता है लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक उन लोगों की सूची नहीं दी है जो पात्र हैं और जिनकी नौकरी चली गई है। सुप्रीम कोर्ट ने ये नहीं कहा कि कौन पात्र है और कौन अपात्र।

नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों से ममता बनर्जी ने की मुलाकात, बोलीं- जब तक जिंदा हूं, नहीं छीनने दूंगी नौकरी
नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों से ममता बनर्जी ने की मुलाकात, बोलीं- जब तक जिंदा हूं, नहीं छीनने दूंगी नौकरी फोटोः IANS

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्य के 25,000 से अधिक बर्खास्त शिक्षकों से मुलाकात की और कहा कि मैं पश्चिम बंगाल में नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों के साथ खड़ी हूं, उनका सम्मान वापस दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करूंगी। जब तक मैं ज़िंदा हूं, किसी को भी आपकी नौकरियां नहीं छीनने दूंगी। यह मुलाकात सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद हुई, जिसमें 2016 की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को धोखाधड़ी और अनियमितताओं से प्रभावित बताते हुए सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था।

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ममता बनर्जी ने इस मामले को "शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने की साजिश" करार दिया और न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाए। सीएम बनर्जी ने कहा, "मैं पश्चिम बंगाल में नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों के साथ खड़ी हूं, उनका सम्मान वापस दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करूंगी। जब तक मैं ज़िंदा हूं, किसी को भी आपकी नौकरियां नहीं छीनने दूंगी।"

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बर्खास्त शिक्षकों को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, "कक्षा 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं के शिक्षक उच्च शिक्षा के प्रवेश द्वार हैं। इनमें से कई स्वर्ण पदक विजेता हैं, जिन्होंने अपने जीवन में शानदार परिणाम हासिल किए हैं। फिर भी उन्हें चोर और अक्षम कहा जा रहा है। यह अधिकार किसने दिया? यह खेल कौन खेल रहा है?" ममता बनर्जी ने आगे कहा, "जो फैसला आया है उसे सकारात्मक तरीके से नहीं लिया जा सकता।

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पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा कि मैं जो कह रही हूं, उसके लिए मुझे जेल में डाला जा सकता है लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक उन लोगों की सूची नहीं दी है जो पात्र हैं और जिनकी नौकरी चली गई है। सुप्रीम कोर्ट ने ये नहीं कहा कि कौन पात्र है और कौन अपात्र। कोर्ट ने सरकार को पात्र और अपात्र को अलग करने की सूची नहीं दी, कोर्ट ने मौका नहीं दिया, उसने तथ्य खोजने की इजाजत नहीं दी। जो लोग योग्य हैं, उनके लिए रोजगार सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।

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ममता ने कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा, "यह फैसला सकारात्मक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक पात्र और अपात्र लोगों की सूची नहीं दी है। सरकार को यह जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी कि वह तथ्यों की जांच कर पात्र लोगों के रोजगार को सुनिश्चित करे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।" ममता ने भावुक अंदाज में कहा, "आपके दुख ने हमारे दिल को पत्थर कर दिया है, लेकिन हम इंसान हैं। मेरे लिए यह जरूरी नहीं कि लोग किस विचारधारा से हैं, मेरा कर्तव्य है कि उनके सम्मान और गरिमा की रक्षा करूं। इसके लिए मुझे जेल भी जाना पड़े तो परवाह नहीं।"

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मुख्यमंत्री ने वादा किया कि जब तक वह जीवित हैं, किसी भी पात्र व्यक्ति को नौकरी से वंचित नहीं होने देंगी। अभिषेक मनु सिंघवी ने छात्रों की ओर से केस लड़ा था और हमने उनका समर्थन किया था। अब अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल, कल्याण बनर्जी, प्रशांत भूषण और राकेश द्विवेदी को राज्य सरकार की ओर से इस मामले को देखने के लिए कहा गया है। ममता ने कहा, "हमने पहले छात्रों का समर्थन किया था, अब सरकार इस मामले को पूरी ताकत से लड़ेगी।" इस मुलाकात में कई विश्वविद्यालयों के कुलपति भी मौजूद थे, जो प्रभावित शिक्षकों के समर्थन में आए। ममता ने इस मुद्दे को लेकर अपनी लड़ाई जारी रखने का संकल्प दोहराया।

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