मणिपुर में हिंसा के मद्देनजर राज्य सरकार ने इंटरनेट पर रोक की अवधि 15 जून तक बढ़ा दी है। 3 मई से पूरे राज्य में इंटरनेट पर रोक है। सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाकर दंगा और हिंसा की आशंका से परेशान सरकार ने यह कदम उठाया है। मणिपुर को पूरी तरह से हिंसा से मुक्त करने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है, लेकिन अभी तक सारे प्रयास लगभग बेनतीजा साबित हुए हैं।
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राज्य सरकार के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में मणिपुर में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। हालांकि इससे पहले शुक्रवार को हुई हिंसा में एक महिला समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे। बताया जा रहा है कि खोकेन गांव में संदिग्ध विद्रोहियों के हमले में कई जानें गईं और दो से अधिक लोग घायल हो गए। विद्रोही सेना की वर्दी में और सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली गाड़ियों जैसी गाड़ियों में आए थे। खोकेन गांव कांगपोकपी और इंफाल पश्चिमी जिले के बीच की सीमा पर स्थित है। इस घटना के बाद गांव में सेना और पैरा मिलिट्री फोर्स की अतिरिक्त टुकड़ियों को तैनात कर दिया गया।
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इम्फाल घाटी में और उसके आसपास रहने वाले मैतेई लोगों और पहाड़ियों में बसे कुकी जनजाति के बीच हिंसात्मक टकराव में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हिंसा में हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। बड़ी संख्या में घरों को विद्रोहियों ने आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा के शुरू हुए एक महीना हो चुके हैं। 3 मई से संघर्ष शुरू हुआ था जो जारी है। राज्य में इंटरनेट बंद है। आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर पहले झड़प हुई थी। इस संघर्ष ने छोटे-छोटे आंदोलनों की एक श्रृंखला को जन्म दिया। इन झड़पों के पीछे भूमि और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग है।
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