महाराष्ट्र की शिंदे सरकार एक तरफ मराठा आरक्ष बिल को कैबिनेट से मंजूरी देने के बाद इसे मंगलवार यानी आज बुलाए गए विषेश विधानसभा सत्र में पास कराने में जुटी हुई है। उधर, मराठा आरक्षण को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने इस विधेयक को ही धोखा करार दिया है। उन्हें सरकार के इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया है।
मराठा आरक्षण बिल पर प्रतिक्रिया देते हुए मनोज जरांगे पाटिल ने कहा, "सरकार ने यह निर्णय चुनाव और वोटों को ध्यान में रखकर लिया है। यह मराठा समुदाय के साथ धोखा है। मराठा समुदाय आप पर भरोसा नहीं करेगा। हमें केवल हमारी मूल मांगों से ही लाभ होगा। 'सज्जन-सोयरे' पर कानून बनाओ। यह आरक्षण टिकेगा नहीं। सरकार अब झूठ बोलेगी कि आरक्षण दे दिया गया है।"
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मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच महाराष्ट्र कैबिनेट ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी मराठा आरक्षण के बिल के मसौदे को मंजूरी दे दी है। इस बिल को पास कराने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र बुलाया गया है।
इससे पहले सेवानिवृत्त न्यायाधीश सुनील शुक्रे की अध्यक्षता में एमएसबीसीसी ने मराठा समुदाय के पिछड़ेपन की जांच करने वाली अपनी विस्तृत रिपोर्ट शुक्रवार 16 फरवरी को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सौंपी गई थी।
सरकार के लिए बड़ी चुनौती अपने वादों को पूरा करना है - मौजूदा ओबीसी आरक्षण से छेड़छाड़ किए बिना मराठा कोटा देना - यह एक मुश्किल काम है, जिसमें विकल्प बहुत कम हैं।
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