मोदी सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ करीब दो माह से चल रहे किसानों के आंदोलन पर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए कानूनों के लागू होने पर रोक लगा दिया। साथ ही कोर्ट ने इस मुद्दे के हल के लिए चार सदस्यीय एक कमेटी का भी गठन कर दिया, जो अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी। इस कमेटी का काम अभी शुरू नहीं हुआ है, लेकिन कमेटी के एक सदस्य ने अभी से वर्तमान कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए किसानों की गलतफहमी दूर करने की बात कहकर विवाद खड़ा कर दिया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने आज जो कमेटी बनाई है, उसमें शामिल महाराष्ट्र के शेतकारी संगठन के अनिल घनवट ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि “ये आंदोलन कहीं रूकना चाहिए और किसानों के हित में एक कानून बनना चाहिए। कानूनों को रद्द करने की बजाए उनमें संशोधन होना चाहिए। आंदोलनकारी किसान नेताओं को कमेटी के साथ कार्य करके अपनी बात रखनी चाहिए।“
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अनिल घनवट ने कहा, “पहले किसानों का कहना सुनना पड़ेगा, अगर उनकी कोई गलतफहमी है तो वो दूर करेंगे। किसानों को विश्वास दिलाना पड़ेगा कि एमएसपी और एपीएमसी जारी रहेगा। जो कुछ भी होगा वो पूरे देश के किसानों के हित में होगा।“ हालांकि घनवट ने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस हमारे पास नहीं आ जाती, तब तक हम काम शुरू नहीं कर सकते। गाइडलाइंस आने के बाद हम सब किसान नेताओं से मिलकर उनकी राय जानेंगे कि उनको क्या चाहिए और वो कैसे किया जा सकता है।
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गौरतलब है कि विवादित कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए आज सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेची बनाई है, उस पर अभी से सवाल उठने लगे हैं। किसान नेताओं का आरोप है कि इस कमेटी में रखे गए सभी सदस्य मोदी सरकार के वर्तमान कृषि कानूनों के समर्थक हैं और समय-समय पर वे कानूनों के समर्थन में बयान भी दे चुके हैं। बता दें कि कमेटी में घनवट के अलावा भूपिंदर सिंह मान (अध्यक्ष बेकीयू), डॉ प्रमोद कुमार जोशी (अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान), अशोक गुलाटी (कृषि अर्थशास्त्री) को रखा गया है।
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