हालात

घपलेबाजी के खुलासे के कारण मोदी सरकार ने सुब्रमण्यन को IMF से हटायाः कांग्रेस

सुप्रिया श्रीनेत ने पूछा कि बीजेपी ने नरेंद्र मोदी की छवि सुधारने के लिए यह पैसा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को नहीं दिया था। यह पैसा जनता का था तो इसका दुरुपयोग क्यों किया गया और क्या खाताधारक को इस बारे में कोई जानकारी दी गई थी?

घपलेबाजी के खुलासे के कारण मोदी सरकार ने सुब्रमण्यन को IMF से हटायाः कांग्रेस
घपलेबाजी के खुलासे के कारण मोदी सरकार ने सुब्रमण्यन को IMF से हटायाः कांग्रेस फाइल फोटोः सोशल मीडिया

कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने मंगलवार को दावा किया कि यूनियन बैंक और एक पुस्तक से संबंधित घपलेबाजी के कारण मोदी सरकार ने केवी सुब्रमण्यन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में कार्यकारी निदेशक पद से समय से पहले से हटाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में खुलासा होने के बाद मोदी सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है।

सुप्रिया श्रीनेत ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदी सरकार ने दो दिन पहले अचानक आईएमएफ में भारत के कार्यकारी निदेशक केवी सुब्रमण्यन का कार्यकाल समाप्त कर दिया है जबकि उनके कार्यकाल में अभी भी 6 महीने बाक़ी थे। सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है। ये वही केवी सुब्रमण्यन हैं, जो कोविड के दौरान 24 प्रतिशत वृद्धि दर के बावजूद ‘वी-शेप्ड रिकवरी’ (भारी गिरावट के बाद तेज सुधार) की बात कर रहे थे।’’

Published: undefined

उन्होंने सवाल किया कि ऐसा क्या हुआ कि इन्हें अचानक बर्खास्त कर दिया गया? कांग्रेस ने अपने इस प्रश्न का उत्तर देते हुए दावा किया कि ऐसा एक घपलेबाजी के चलते हुआ है और यह यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के आधिकारिक दस्तावेज़ों से पता चलता है। श्रीनेत ने आरोप लगाया, ‘‘यूनियन बैंक ने प्रधानमंत्री मोदी के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार और ‘‘समर्पित चीयरलीडर’’ केवी सुब्रमण्यन द्वारा लिखी गई किताब ‘इंडिया ऐट100’ की करीब दो लाख प्रतियां ऑर्डर कीं। इन 2 लाख प्रतियों की कुल कीमत 7.25 करोड़ रुपये से ज़्यादा थी और यही नहीं, 3.5 करोड़ रुपये तो एडवांस भी दे दिए गए।’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि इनमें 1,89,450 प्रतियां पेपर बैक और 10,422 हार्ड कवर की प्रतियां शामिल थीं। इन किताबों को बैंक के क्षेत्रीय और जोनल ऑफिस से लेकर खाताधारकों, स्कूल और कॉलेजों में बांटा जाना था। बैंक के 18 जोनल ऑफिस हैं और हर जोनल ऑफिस को 10,525 प्रतियां दी जानी थीं। श्रीनेत ने दावा किया कि आधे भुगतान के बाद बैंक ने तमाम क्षेत्रीय दफ्तरों को कहा कि बाकी भुगतान अतिरिक्त खर्च में दिखा दिया जाए।

Published: undefined

उन्होंने कहा, ‘‘सवाल है कि इनका भोंडा प्रचार क्यों किया गया? इसका जवाब यह है कि इन्होंने सरकार की हर गलत नीति को सही बताने का काम किया और पहले की सरकारों की आर्थिक नीतियों पर जबरदस्ती की टिप्पणी की थी।’’ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि ऐसा लगता है कि इस शर्मनाक खुलासे के कारण ही मोदी सरकार को मजबूरन केवी सुब्रमण्यन को उनके पद से हटाना पड़ा है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि केवी सुब्रमण्यन, प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के जाने-माने भक्त हैं। प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहते हुए केवी सुब्रमण्यन ने साल 2019-20 के आर्थिक सर्वे में 'थालीनॉमिक्स' की चर्चा की थी। यह अलग बात है कि एक साधारण वेज थाली की कीमत सिर्फ एक साल में 52% बढ़ गई है। जब देश बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रहा था, तब सरकार, सरकारी बैंक द्वारा नरेंद्र मोदी को सही ठहराने के लिए 2 लाख किताबों की प्रतियां खरीद रही थीं। ऐसे में सरकार, सरकारी बैंक और वित्त मंत्रालय से हमारे कुछ सवाल हैं:-

Published: undefined

1. क्या यह सच नहीं है कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने केवी सुब्रमण्यन की किताब की 2 लाख प्रतियां खरीदीं, क्या बैंक ने 7 करोड़ रुपए से ज़्यादा खर्च करने के लिए अपने बोर्ड या वित्त मंत्रालय के Department of Financial Services से अनुमति ली थी?

2. बीजेपी ने नरेंद्र मोदी की छवि सुधारने के लिए यह पैसा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को नहीं दिया था। यह पैसा जनता का था तो इसका दुरुपयोग क्यों किया गया और क्या खाताधारक को इस बारे में कोई जानकारी दी गई थी?

3. क्या वित्त मंत्रालय ने इस बात की जांच की है कि यह conflict of interest कैसे हुआ?

4. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की MD और CEO सुश्री मणिमेखलाई, जिनका जून 2025 में एक्सटेंशन होना है, तो क्या उन्होंने अपने एक्सटेंशन की पैरवी करने के लिए अपरोक्ष रिश्वत दी, क्या ये सब उनकी जानकारी में हुआ?

5. क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी इस लेन-देन पर सफाई देंगी, PMO इसमें क्यों और किस हद तक शामिल था- इसका जवाब कौन देगा?

आपको बता दें कि 4 मई को All India Union Bank Employees’ Association ने भी बैंक की MD और CEO से पब्लिक के पैसे की इस फ़िज़ूलख़र्ची और बर्बादी की जांच की मांग की है।

Published: undefined

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, आपको याद होगा- दिसंबर 2024 में नेता विपक्ष श्री राहुल गांधी ने ट्वीट किया था कि 'मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB), जो जनता की जीवनरेखा हैं, उन्हें केवल अमीर और शक्तिशाली कंपनियों के लिए पालतू साहूकार बनाकर रख दिया है।' नेता विपक्ष की यह बात शत-प्रतिशत सच है। ऐसे कई उदाहरण हैं- जहां RSS कार्यकर्ताओं और भक्तों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया गया है। ये सच है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 10 साल में अपने प्रचार-प्रसार और छवि चमकाने के लिए 'भक्त और ट्रोल मंडली' बनाई हुई है, जिन्हें तरह-तरह से फायदा पहुंचाया जाता है। फिर वो राष्ट्रमित्र अडानी हो या आर्थिक तर्क से ज़्यादा नरेंद्र मोदी के मन की बात करने वाले केवी सुब्रमण्यन- इन सभी के लिए नए भारत के अमृत काल में भ्रष्टाचार के नए आयाम लिखे जा रहे हैं।

Published: undefined

बता दें कि मोदी सरकार ने हाल में एक अप्रत्याशित कदम के तहत आईएमएफ में कार्यकारी निदेशक के वी सुब्रमण्यन की सेवाएं उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले समाप्त कर दी थीं। यह कदम ऐसे समय उठाया गया जब आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड कर्ज में डूबे पाकिस्तान के लिए वित्तीय सहायता पर विचार करने वाला है। पिछले महीने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत कूटनीतिक और विभिन्न वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को घेरने का प्रयास कर रहा है। भारत का मानना है कि इस हमले में पाकिस्तान शामिल है। इस आतंकवादी हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined