कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने देश में जातीय गणना के साथ जनगणना साल 2026 और 2027 में दो चरणों में कराए जाने के फैसले को लेकर बेवजह देरी का आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार सिर्फ ‘हेडलाइन’ बटोरने में सक्षम में है, ‘डेडलाइन’ पूरा करने में नहीं। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘वास्तव में 2021 में होने वाली जनगणना को लेकर अगले 23 महीनों की देरी करने का कोई कारण नहीं है। मोदी सरकार केवल ‘हेडलाइन’ बटोरने में सक्षम है, ‘डेडलाइन’ पूरा करने में नहीं।’’
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इससे पहले बुधवार को गृह मंत्रालय ने जानकारी दी कि लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों में जातीय गणना के साथ जनगणना की शुरुआत एक अक्टूबर, 2026 को होगी जबकि बाकी देश में इस प्रक्रिया की शुरुआत एक मार्च, 2027 से होगी। भारत में जनगणना का काम जनगणना अधिनियम, 1948 और जनगणना नियम, 1990 के प्रावधानों के अंतर्गत पूरा किया जाता है।
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देश में पिछली जनगणना 2011 में दो चरणों में की गई थी। पहला चरण एक अप्रैल से 30 सितंबर 2020 के बीच चला था जिसमें मकानों की गिनती की गई थी और दूसरा चरण नौ फरवरी से 28 फरवरी 2011 तक चला था जिसमें लोगों की गिनती की गई थी। इसके बाद जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड के कारण सरकार ने इसे स्थगित कर दिया था।
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देश में कोविड की लहर खत्म होने और जनजीवन सामान्य होने के बावजूद मोदी सरकार ने 2021 से 2025 तक देश में जनगणना नहीं कराया। इस दौरान विपक्ष, खासकर कांग्रेस लगातार जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने की मांग भी करती रही। विपक्ष की लगातार मांग के दबाव में पिछले दिनों सरकार ने जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने का ऐलान तो किया, लेकिन अब इसकी शुरुआत अगले साल 2026 में करने का ऐलान किया है।
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