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रुपये में गिरावट पर कभी मोदी ने मनमोहन पर व्यक्तिगत हमले किये थे, आज बोलने के लिए शब्द नहीं: कांग्रेस

जयराम रमेश ने कहा गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 2014 में डॉलर के मुक़ाबले रुपये की कीमत गिरने के खिलाफ बड़े जोर-शोर से अभियान चलाया था और राजनीतिक लाभ के लिए मनमोहन सिंह पर व्यक्तिगत हमले भी किए थे। पर अब पीएम मोदी के पास बोलने के लिए शब्द नहीं हैं।

रुपये में गिरावट पर कभी मोदी ने मनमोहन पर व्यक्तिगत हमले किये थे, आज बोलने के लिए शब्द नहीं: कांग्रेस
रुपये में गिरावट पर कभी मोदी ने मनमोहन पर व्यक्तिगत हमले किये थे, आज बोलने के लिए शब्द नहीं: कांग्रेस फोटोः सोशल मीडिया

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में लगातार भारी गिरावट को लेकर सोमवार को पीएम मोदी पर निशाना साधा और कहा कि कभी रुपये में गिरावट पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर ‘व्यक्तिगत हमले’ करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास अब बोलने के लिए शब्द नहीं हैं।

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अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया चार पैसे की गिरावट के साथ 85.52 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर आ गया। गत शुक्रवार को रुपया लगभग दो साल में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज करते हुए 85.80 के अपने जीवनकाल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया, जिसके बाद केंद्रीय बैंक के संभावित हस्तक्षेप ने इसके कुछ नुकसान की भरपाई की और यह डॉलर के मुकाबले 21 पैसे की गिरावट के साथ 85.48 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ।

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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 2014 में डॉलर के मुक़ाबले रुपये की क़ीमत गिरने के ख़िलाफ़ बड़े जोर-शोर से अभियान चलाया था। उन्होंने राजनीतिक लाभ लेने के लिए उस वक्त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर व्यक्तिगत हमले भी किए थे।’’

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उन्होंने दावा किया, ‘‘16 मई 2014 को अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले रुपया 58.58 पर था। 10 साल बाद, डॉलर के मुक़ाबले रुपया 85.27 के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। एशियाई मुद्राओं में भारतीय रुपए का प्रदर्शन सबसे ख़राब है।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि रिजर्व बैंक ने रुपये को स्थिर करने के लिए हमारे विदेशी मुद्रा भंडार का अरबों डॉलर इस्तेमाल किया है, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने सवाल किया कि आख़िर कितने अरब डॉलर का इस्तेमाल किया गया है?

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रमेश ने कहा, ‘‘अब प्रधानमंत्री मोदी के पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं हैं, लेकिन आइए, हम उन्हें 2013 के उनके शब्द याद दिलाते हैं- संकट आते हैं, लेकिन किसी संकट के समय नेतृत्व दिशाहीन हो, असहाय हो, निराश हो तब संकट बहुत गहरा हो जाता है...ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि दिल्ली में बैठे हुक्मरानों को न देश की रक्षा की चिंता है, न रुपए की गिरती क़ीमत की... अगर उन्हें चिंता है तो सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने की।”

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